वैशाली। लालगंज थाना क्षेत्र की बसंता जहानाबाद पंचायत के बलुआ बसंता गांव में मंगलवार की सुबह अचानक एक तेंदुआ ने दो लोगों को घायल कर दिया। इससे पूरे गांव में हड़कंप मच गया। घायल संतोष सिंह और संजीत शर्मा इसी गांव का है। संजीत शर्मा शौच के लिए गए थे। वहीं संतोष सिंह फूल तोड़ने गया था। घायल दोनों को इलाज के लिए रेफरल अस्पताल भेज दिया गया।
बता दें कि बलुआ बसंता गांव गंडक नदी के किनारे बसा हुआ है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि गंडक नदी के रास्ते वाल्मीकिनगर से तेंदुआ भटकते हुए यहां पहुंचा होगा। तिरहुत तटबंध के किनारे घनी आबादी है। सुबह में लोगों को देखकर तेंदुआ उग्र हो गया और दो लोगों को घायल कर दिया। इसके बाद हो-हल्ला होने पर आसपास के लोग काफी संख्या में जुट गए।
सबसे पहले लोगों ने घटना की सूचना लालगंज थाने को दी, जिसके बाद थानाध्यक्ष सुनील कुमार मौके पर दलबल के साथ पहुंचे और कर अपने वरीय पदाधिकारी को दी। इसके बाद करताहां थाने की पुलिस भी पहुंची। थोड़ी देर के सदर एसडीपीओ राघव दयाल एवं डीएफओ भारत भूषण पाल भी मौके पर पहुंच गए और पटना से रेंजर बुलाने के लिए सूचना दी गई। तेंदुआ कुत्तों के खदेड़े जाने के बाद बलुआ बसंता स्थित तिरहुत बांध पर बने स्लूइस गेट के अंदर जाकर छिप गया।
सात घंटे की मशक्कत के बाद निकाला गया तेंदुआ
सुबह 6 बजे तेंदुआ दो लोगों को घायल करने के बाद स्लूइस गेट के अंदर जा छिपा। करीब 11 बजे पटना से वन विभाग की टीम आई। वन विभाग के मनोज कुमार ने ट्रैंक्वालीइजर गन से दो बार तेंदुआ को ट्रैंक्वलाइज कर बेहोश किया। इसके बाद अंदर घुस कर जाल डालकर तेंदुआ को बाहर निकालकर पिजरे में डालकर ऊपर लाया गया। तब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली। इसके बाद तेंदुए को लालगंज स्थित वन विभाग के कार्यालय पर लाया गया। डीएफओ ने बताया कि तेंदुए को बेतिया ले जाकर जंगल में छोड़ दिया जाएगा। तेंदुए के कारण उड़ी लॉक डाउन की धज्जियां जैसे ही तेंदुआ की खबर आसपास के गांवों में फैली, हजारों की संख्या में लोग जुट गए, जिससे लॉक डाउन की धज्जियां उड़ती दिखीं। लोगों को हटाने के लिए बार बार एसडीपीओ राघव दयाल, बीडीओ राधा रमन मुरारी, सीओ संतोष कुमार सिंह, थानाध्यक्ष सुनील कुमार, कतताहां थानाध्यक्ष संतोष कुमार पंकज, एसआइ सुनील कुमार, पंकज कुमार सिंह, स्थानीय मुखिया अवधेश सिंह, पैक्स अध्यक्ष नारद राय को कई बार मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन लोगों का जुनून ऐसा कि टस से मस होने का नाम नहीं ले रहा था। प्रशासन को कई बार लोगों को खदेड़ना पड़ा। लेकिन खदेड़े जाने के बाद लोग वापस जमा हो जाते थे। जब तेंदुए को पिजरे में डालकर गाड़ी से वहां से ले जाया जा रहा तब भी कई किलोमीटर तक लोग गाड़ी के पीछे साइकल एवं मोटरसाइकिल से पीछा करते रहे। यहां तक कि बतरौल स्थित वन विभाग के कार्यालय पर जब तेंदुए को कुछ देर के लिए वहां पानी पिलाने के लिए रखा गया तो वहां भी गेट के बाहर सैकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। थोड़ी देर बाद तेंदुए को वहां से बेतिया के लिए ले जाया गया। तब जाकर यहां का माहौल सामान्य हुआ।