Fact Check: 'अब की बार मोदी सरकार' रोटियों की तस्वीरों से फैलाया जा रहा ये झूठ, जानें सच्चाई

सोशल मीडिया पर आजकल कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें रोटियों पर स्टाम्प लगी है और लिखा है, 'अबकी बार मोदी सरकार'। सोशल मीडिया यूजर्स इन तस्वीरों को शेयर करते हुए यह दावा कर रहे हैं कि देशव्यापी लॉकडाउन में भाजपा सरकार इस तरह से अपना प्रचार कर रही है और गरीबों को यह रोटियां बांट रही है। अमर उजाला ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह तस्वीर पुरानी है और 2014 की है, वाराणसी के एक रेस्टोरेंट ने इस तरह की रोटियों को बनाया था। तस्वीरों के साथ किया जा रहा दावा फर्जी है। दावाकर्ता- सोशल मीडिया यूजर्स दावे का आधार- कुछ तस्वीरें और उसपर लिखा डिस्क्रिप्शन क्या किया जा रहा है दावा - 'रोटी पर भी नाम छाप कर दिया जा रहा है। मदद हो रही या प्रचार समझ से परे है'। रोटियों पर लिखा है 'अबकी बार मोदी सरकार'।

पड़ताल के चरण फेसबुक यूजर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर 3 तस्वीरें शेयर की है। इनमें रोटियों पर स्टाम्प लगा हुआ है और उसपर लिखा है, 'अबकी बार मोदी सरकार' इस पोस्ट के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा है, 'रोटी पर भी नाम छापकर दिया जा रहा है। मदद हो रही या प्रचार, समझ से परे है' सोशल मीडिया पर यह पोस्ट खूब वायरल हो रही है। तस्वीरों को डाउनलोड करके सबसे पहले रिवर्स सर्च किया। हमको 2014 के कुछ न्यूज आर्टिकल मिले, जिनमें इन तस्वीरों का प्रयोग किया गया था। इससे यह पता चल गया कि यह तस्वीरें अभी की नहीं है बल्कि मई 2014 में बनारस में ली गई थीं। इसके बाद हमने सटीक की-वर्ड "मोदी रोटी " "रोटी पर मुहर" लिए और गूगल पर सर्च किया, हमको आउटलुक का आर्टिकल मिला, जिसमें इस घटना का विवरण था जिसकी हेडलाइन थी,' Police Asks Dhaba Selling 'NaMo' Roti to Shut Shop" इस आर्टिकल के मुताबिक, 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान बनारस के एक होटल में 'अबकी बार मोदी सरकार' का ठप्पा लगा कर रोटियां बेची जा रही थीं। इन रोटियों पर यह स्टाम्प लगी हुई थी।
दूसरा महत्वपूर्ण सबूत यूट्यूब पर मिला,एनडीटीवी ऑफिशियल यूट्यूब ने इस पर एक खबर की थी। यह वीडियो यूट्यूब पर 9 मई, 2014 को अपलोड किया गया था। प्रशासनिक आदेश के बाद स्टाम्प वाली रोटियां बनाना बंद कर दिया था। इस रिपोर्ट में होटल के कर्मचारी के अनुसार, प्रशासन ने उन्हें ऐसी रोटियां बनाने पर हड़काया था और उसके बाद ये रोटियां बननी बंद हो गई थीं।
पड़ताल का परिणाम- साल 2014 में एक रेस्टोरेंट ने चुनाव प्रचार के लिए ये रोटियां बनाई थी। इन तस्वीरों को अभी का बताकर सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। इन तस्वीरों का लॉकडाउन से कोई लेना-देना नहीं है।वायरल तस्वीरें करीब छह साल पुरानी हैं और इनका गरीबों में बांटे जाने वाले खाने से कोई लेना- देना नहीं है। कोरोना वायरस महामारी के चलते बहुत सारी फर्जी पोस्ट वायरल हो रही हैं। इसलिए खबरों को भी झूठे तथ्यों के संक्रमण से बचाना है। अफवाहों से सावधान रहें और कुछ भी शेयर करते समय जांच पड़ताल कर लें।कोरोना वायरस और फेक न्यूज से सावधानी ही बचाव है।

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