रामनगर बाराबंकी.डीएम व सीडीओ की सख्ती के बाद भी दूसरे प्रांतों से आए लोगों को स्कूलों में रोकने की व्यवस्था फेल साबित हो रही है. तहसील क्षेत्र में बमुश्किल दो दर्जन स्कूल ऐसे होंगे जहां प्रधानों ने गांव वालों ने सामूहिक एकता के बल पर बाहर से आए लोगों को स्कूल मे रोक रखा है. बाकी तमाम स्कूलों में ताला ही बंद रहता है.ऐसे में अब संकट खड़ा हो गया है कि सरकार कैसे बाहर से आए लोगो को बाहर ही कवारण्टाइन करें. रामनगर सूरतगंज ब्लॉक को मिलाकर करीब 186 ग्राम पंचायतें हैं. शायद ही कोई ऐसी ग्रामपंचायत हो जहां पर दिल्ली मुंबई समेत अन्य प्रांतों से लोग ना आए हो. इसकी सूची बाकायदा डीएम व सीडीओ के पास सचिवों द्वारा भेजी गई है. लेकिन यही नहीं साथ स्वास्थ विभाग द्वारा भी सर्वे कराकर सूची बनाई गई है .विडंबना ही कही जाएगी सरकार की सख्ती के बाद भी इस गंभीर विषय पर लोग जागरूक नहीं हैं.और तमाम गांव में बाहर से आए लोग छुट्टा घूम रहे हैं.जिससे इन लोगों से संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है. गांव के प्रधान भी मजबूर हैं क्योंकि जब वह कहते हैं तो विवाद की नौबत आती है. ऐसे में चिन्हित किए गए लोगों के गांव में पुलिस बल को भेजकर सभी बाहरी लोगों को स्कूलों में रुकवाने तथा स्कूलों के अंदर ही खाना पानी अन्य सुविधाये देने की जरूरत बनी हुई है. ब्लॉक के अधिकारी भी इस संवेदनशील विषय पर गंभीर नहीं है. इसीलिए ना तो वीडियो कहीं बाहर निकलते हैं ना ही एडीओ और यहां तक कि सचिव भी नदारद रहते हैं. 1 अप्रैल को राशन वितरण के बाद से आज तक गांव में ग्राम विकास विभाग के अधिकारी कर्मचारी नहीं दिखे. हद तो तब हो गई जब सफाई कर्मचारी भी किसी गांव में नहीं जा रहे हैं. जिन स्कूलों में बाहरी लोग रुके हैं.वह खुद साफ सफाई करते हैं. इस संदर्भ में अधिकारियों को कहना है कि ग्राम विकास विभाग के अधिकारी अपना दायित्व नहीं निभा रहे.