दीपक
आखिर दीपक से तुम्हारी दुश्मनी क्या है? इसमें क्यों दिखने लगी तुम्हे राजनीति। तू ही बता, क्या सभी अपना लें, तबलिगी जमात की नीति। यह सही है कि दीपक से कोरोना नहीं भागेगा, मगर यह भी तो सही है कि इससे मानव का मन जागेगा। यह तो तुम भी जानते हो कि इस लड़ाई में उत्साह बहुत जरूरी है, फिर मानव मन की ऊर्जा कम करने के लिए तेरी क्या मजबूरी है? क्या आज तूं चाइना का बन गया है एजेंट, बता मेरे भाई, तुझको कितना मिला परसेंट। हद कर दी है तूने, कितनी गंदी कर रहे हो राजनीति, तू हीं बता, क्या सभी अपना लें, तबलिगी जमात की नीति।।