बक्सर : सरकारी गाड़ी से उतरते चेहरे पर मास्क और हाथ में दस्ताना लगाए लॉकडाउन तोड़नेवालों को एफआइआर दर्ज कर जेल भेजने की बात हो या फिर सोशल डिस्टेंसिग का पालन करने का गुहार लगाते, कोई मिले तो समझ जाइए कि यही डुमरांव के एसडीएम हरेंद्र राम हैं। कोरोना के खिलाफ छिड़ी जंग में किसी योद्धा की तरह डटे डुमरांव एसडीएम की दिनचर्या इन दिनों पूरी तरह बदल गई है।
शहर से लेकर दूर गांव देहात तक एक-एक खबर पर पैनी नजर के साथ ही उनकी एक समस्या यह भी है कि लॉकडाउन के दौरान भोजन के अभाव में कोई भूखे पेट ना सो जाए। उनके पास वैसे लोगों की लंबी चौड़ी लिस्ट है। जिनके समक्ष आज भोजन की समस्या है। कार्यालय या घर में चैन से बैठे कई दिन हो गए, अब तो बस मोबाइल पर सूचना मिली नहीं कि नए टास्क के लिए क्षेत्र में रवाना हो जाना है। जंग को सफल बनाने में सुबह छह बजे से रात के 11 बजे तक समय अमूमन सड़क पर ही गुजर रहा है। एसडीएम समाज के सक्षम लोगों से भी मदद कराते रहते हैं। रेडक्रॉस सोसाइटी की टीम के साथ उन्होंने सफाखाना रोड स्थित अनुसूचित बस्ती में भोजन का प्रबंध कराया। वहीं, डीके कॉलेज रोड में डेरा जमाए बैठे राजस्थानी बंजारों की भूख की चिता फोरलेन सड़क निर्माण कंपनी पीएनसी से पूरा किया।
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Posted By: Jagran
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