लॉकडाउन : अच्छी नींद रखती है संक्रमण से दूर, जानें कैसे

हम सब जानते हैं कि नींद न आने से थकान और मानसिक तनाव होने लगता है। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं अगर हम इस अभूतपूर्व समय में पूरी नींद नहीं लेंगे तो हमारा प्रतिरोधी तंत्र कमजोर हो जाएगा जिससे संक्रमण होने की संभावना बढ़ सकती है। आइए जानते हैं कि लॉकडाउन के समय खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में नींद आपकी कैसे मदद कर सकती है। साथ ही अगर आप अनिद्रा के शिकार हो रहे हैं तो उस स्थिति से कैसे निकले।

सर्दी जुकाम संभव - कोविड-19 वायरस पर नींद के असर का प्रभाव जानने के लिए वैज्ञानिक फिलहाल शोध में लगे हैं। पर 2015 के एक वैज्ञानिक अनुसंधान में पाया गया कि अगर कोई व्यक्ति रात में छह घंटे से कम नींद लेता है तो उसे जुकाम होने की आशंका चार गुना बढ़ जाएगी। इसके पीछे कारण यह है कि नींद के शुरुआती एक तिहाई समय में शरीर का प्रतिरोधी तंत्र मजबूत होता है जो कि सर्दी जुकाम से बचाता है।
आठ घंटे सोने से बढ़ती है प्रतिरोधक क्षमता - नॉर्थम्ब्रिया सेंटर फॉर स्लीप रिसर्च के निदेशक जेसन एलिस का कहना है कि शरीर में संक्रमण को नष्ट करने के लिए नींद सबसे जरूरी है। नींद के दौरान हमारे शरीर का प्रतिरोधी तंत्र एक प्रोटीन ‘साइटोकिन्स ’ बनाकर शरीर में फैलाता है। इस प्रोटीन में विशेष तरह की श्वेत रक्त कोशिका ‘टी-कोशिका’ पायी जाती है जो शरीर के प्रतिरोधी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। टी कोशिका शरीर में मौजूद किसी भी संक्रमित कोशिका पर हमला करके उसे नष्ट कर देती हैं। यानी अगर आप कम से कम आठ घंटे नींद ले रहे हैं तो साइटोकिन्स और टी कोशिकाएं पर्याप्त मात्रा में पैदा होंगी और संक्रमण के प्रति आपकी शारीरिक क्षमता बढ़ेगी।
खुद को ज्यादा थका लेना भी खतरनाक- लोग नींद न आने से इतना परेशान हो जाते हैं कि वे क्षमता से अधिक काम करके खुद को थका लेते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तरीका नींद आने में कारगर साबित होने की जगह शरीर के लिए खतरा बढ़ा सकता है। साथ ही विशेषज्ञ मानते हैं कि आपात स्थिति में जिन सेवाकर्मियों को ज्यादा काम करना पड़ रहा है, वे अनिद्रा के शिकार हो सकते हैं जो एक चिंता की बात है।
कम सोते हैं भारतीय - 2019 में आए एक अध्ययन के मुताबिक, औसतन हर दिन भारतीय सात घंटे की नींद लेते हैं जबकि यूरोपीय देशों में लोग सात से आठ घंटे तक सोते हैं। अनिंद्रा चिंता का विषय तो है ही, लॉकडाउन के समय स्थिति गंभीर रूप ले सकती है।नींद न लेना बीमारी को निमंत्रण- विशेषज्ञ जेसन एलिस कहते हैं कि तनाव या डर के कारण नींद न आने से प्रतिरोधी तंत्र पर दोगुनी मार पड़ती है क्योंकि तब शरीर के इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया देने की क्षमता असंतुलित हो जाती है। इससे तनाव बढ़ता जाता है और मानसिक अवसाद की स्थिति में पहुंचने का डर पैदा हो जाता है, वहीं शारीरिक कमजोरी आने से शरीर में फ्लू आदि का खतरा पनपता है।
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