पटना, जेएनएन। पटना के आईजीआईएम़एस की घोर लापरवाही सामने आई है। कोरोना की जांच के लिए इंतजार कर रही एक वृद्ध महिला की बिना जांच के ही मौत हो गई। पिछले की दिनों से वह अस्पताल के मेडिसिन विभाग में भर्ती थी और उसे सांस लेने में तकलीफ थी। उसकी बीमारी का लक्षण देख उसे कोरोना संदिग्ध मान जा रहा था। तीन दिन पहले ही अस्पताल के डॉक्टर ने कोरोना की जांच के लिए लिखा था, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने महिला की जांच नहीं की, टालता रहा। आज सुबह महिला ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया। उसकी मौत के बाद उसके परिजन अस्पताल में हंगामा कर रहे हैं और अस्पताल प्रशासन पर घोर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं।
बता दें कि पटना के आइजीआइएमएस के मेडिसिन वार्ड में भर्ती पालीगंज निवासी 70 वर्ष ललिता देवी बुधवार से एक-एक सांस के लिए जूझ रही थी। उन्हें सांस लेने में परेशानी थी और चिकित्सक ने कोरोना जांच कराने को लिखा था। बुधवार से महिला के घरवाले उसकी स्थिति देखकर और कोरोना जांच में हो रही देरी को देखकर परेशान थे। इससे पहले भी इलाज के लिए आई महिला अस्पताल में जब बेहोश हो गई तो भर्ती होने के 36 घंटे बाद उसका इलाज शुरू किया गया।
उसके स्वजन राज किशोर प्रसाद साधु ने बताया कि ललिता देवी को बुधवार की सुबह आठ बजे भर्ती कराया गया था। अस्पताल प्रशासन ने मेडिसिन विभाग में भेज दिया। 24 घंटे तक कोरोना जांच की आस में ललिता पड़ी रहीं। निदेशक डॉ.एनआर विश्वास का कहना है कि कोरोना की जांच नहीं होगी। वहीं दूसरी ओर बुधवार को अधीक्षक डॉ.मनीष मंडल का कहना था कि कोरोना की जांच होगी। इस तरह अस्पताल की लापरवाही ने महिला की जान ले ली है।
बता दें कि इससे पहले भी बिहार में कई कोरोना संदिग्ध मरीजों की मौत हो चुकी है। पीएमसीएच में ही दो मरीजों की आइसोलेशन वार्ड में गुरुवार को मौत हो गई, लेकिन उनकी जांच रिपोर्ट अबतक नहीं आई है। वहीं इससे पहले भागलपुर, बेगूसराय के साथ ही कई जिलों से एेसी खबरें सामने आईं जिसमें कई मरीजों की आइसोलेशन वार्ड में मौत हो गई कई संदिग्ध मरीजों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इनमें से कुछ की जांच रिपोर्ट आई, कुछ के बारे में पता नहीं। एेसी लापरवाही घातक सिद्ध हो सकती है।
दूसरी तरफ इससे पहले कोरोना वायरस (Coronavirus) के भारत में दस्तक दे देने के बाद अगर पटना एयरपोर्ट (Patna Airport) पर विदेशों से आने वाले लोगों के सैंपल लेने और उन्हें आइसोलेट (Isolate) करने में प्रशासन ने तत्परता और सजगता दिखाई होती तो बिहार में पॉजिटिव केस की संख्या नहीं बढ़ती। हालांकि बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार की मानें तो उनका कहना है कि विदेशों से और दूसरे राज्यों से बिहार आए सभी लोगों की जिस तरह से जांच की जानी चाहिए, की गई, उसमें कोई कोताही नहीं बरती गई है।
बता दें कि बिहार में कोरोना पॉजिटिव मामले 22 मार्च से मिलने शुरू हुए और वह इस बात पर मुहर लगाते हैं कि बाहर से राज्य में आए लोगों के सैंपल नहीं लिए गए और संदिग्ध लोगों को आइसोलेशन पर नहीं रखा गया।
मुंगेर के एक मरीज की अबतक कोरोना से मौत की बात कही जा रही है। उसकी मौत से पहले भी लापरवाही बरती गई। उसकी तब जांच नहीं की गई जब वह कतर से दिल्ली होते हुए पटना एयरपोर्ट पर उतरा और 12 मार्च को अपने घर पहुंच गया था। आने के तीन-चार बाद उसे दिक्कत आई तो वह मुंगेर के एक अस्पताल में भर्ती हुआ। उसके बाद वह पटना आया और फिर इलाज के दौरान 21 मार्च को उसकी पटना के एम्स में मौत हो गई।
अगले दिन 22 मार्च को उसकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई, तबतक उसका शव उसके परिजनों को सौंप दिया गया था और फिर जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद हड़कंप मच गया था। अब आलम ये है कि इस युवक ने अपने संपर्क में आए 13 लोगों को संक्रमण दिया और उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, जिसमें से एक युवक, जो मुुंगेर के अस्पताल में कार्यरत था और मरीज के संपर्क में आया था। वो उसकी मां और उस की पत्नी भी पॉजिटिव पाए गए हैं, सबसे दुखद है कि उसकी पत्नी गर्भवती है।