Prevention of Blindness Week 2020: इन 5 आदतों के अपनाने से 60 की उम्र के बाद भी रहेगी आंखों की रोशनी बरकरार

आज के समय हर दूसरे व्यक्ति की आंशों की रोशनी कमजोर हो चुकी है और चश्मा का उपयोग कर रहा है। हमारे पूर्वजों को तो बुढ़ापे में भी चश्मे की जरूरत नहीं हुई जबकि आज के समय में छोटे-छोटे बच्चों को भी चश्मा लगाना पड़ रहा है। आंखों की रोशनी का कमजोर होना आज के समय में एक गंभीर विष बन गया है, जिसके बारे में सोचना नितांत आवश्यक है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हर साल 1 से 7 अप्रैल को ब्लाइंडनेस वीक के रूप में मनाया जाता है। इस सप्ताह के दौरान आंखों की देखभाल और आंखों से जुड़ी बीमारियों से बचाव पर जोर दिया जाता है। अगर आंखों का अच्छे से ख्याल रखा जाए और नियमित जांच करवाया जाए तो 60 की उम्र पार करने के बाद भी आंखों की रोशनी बरकरार रहेगी।ब्लाइंडनेस वीक के माध्यम से भारत सरकार नेत्रहीनों को जागरूक करती है। ऐसे में आज हम भी आपको आंखों की देखभाल के तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं। इन तरीकों को अपनाने से आपको लंबे समय तक आंखों से जुड़ी किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं होगी और चश्मा लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

खानपान पर ध्यान अगर इंसान का खानपान सही रहे तो किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं होगी। पौष्टिक और संतुलित आहार के माध्यम से इंसान स्वस्थ रहते हुए लंबे जीवन का सफर तय कर सकता है। आंखों के स्वास्थ्य के लिए विटामिन सी, विटामिन ई, ओमेगा -3 फैटी एसिड, ल्यूटिन और जस्ता जैसे पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इन पोषक तत्वों की आवश्यकता पूरी करने के लिए आपको अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, मछली, अंडे, घी, नट्स, दाल, बीन्स संतरे और अन्य खट्टे फलों को शामिल करना चाहिए।
धूम्रपान से दूरी धूम्रपान यानी स्मोकिंग शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। यह आपके फेफड़े समेत आंखों की रोशनी के लिए बेहद हानिकारक है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि धूम्रपान करने से ड्राई आई, मैक्यूलर डिजनरेशन, डायबिटिक रेटिनोपैथी, आई सिंड्रोम और मोतियाबिंद जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। नियमित रूप से धूम्रपान करने वाले लोगों को आंखों से जुड़ी समस्याएं जरूर होती हैं।
UV किरणों से आंखों की रक्षा तेज धूप में बाहर निकलते वक्त आंखों को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाना चाहिए। इन हानिकारक किरणों के संपर्क में आने से मैक्यूलर डिजनरेशन और मोतियाबिंद का खतरा हो सकता है।
लैपटॉप या फोन ज्यादा न चलाएं लैपटॉप या फोन की स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से आंखों की रोशनी कम हो सकती है। बहुत देर कंप्यूटर और मोबाइल की स्क्रीन देखने के कारण आपकी नजर धुंधली हो सकती है। साथ ही सिरदर्द और कंधे में दर्द समेत कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अगर आपको लैपटॉप पर ज्यादा देर तक काम करना है तो एंटी-ग्लेयर स्क्रीन का इस्तेमाल करें। हर दो घंटे के बाद आपको कम से कम 15 मिनट का ब्रेक लेना चाहिए।
नियमित रूप से आंखों की जांच आंखों की सुरक्षा के लिए आपको नियमित रूप से जांच करवानी चाहिए। ऐसा करने से आपकी आंखों की रोशनी का भी पता चलेगा और आने वाली समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगा।

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