मुम्बई : बॉलीवुड के सिंघम स्टार अजय देवगन ने अपने दमदार अभिनय से सिने प्रेमियों को अपना दीवाना बनाया है लेकिन कम लोगों को पता होगा कि वह पहले निर्देशक बनना चाहते थे।
अजय का मूल नाम विशाल देवगन है। उनका जन्म दिल्ली में दो अप्रैल 1969 को हुआ था उनके पिता वीरू देवगन हिंदी फिल्मों के नामी स्टंटमैन थे जबकि उनकी मां वीणा देवगन ने एक-दो फिल्मों का निर्माण किया था। घर में फिल्मी माहौल के होने कारण अजय की रूचि भी फिल्मों की ओर हो गयी और वह फिल्म निर्देशक बनने का सपना देखने लगे। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई मुंबई के मिठी भाई कॉलेज से पूरी की। इसके बाद वह फिल्म निर्देशक शेखर कपूर के साथ सहायक निर्देशक के रूप में काम करने लगे। इसी दौरान उनकी मुलाकात कुक्कु कोहली से हुयी जो उन दिनों नई फिल्म 'फूल और कांटे' के निर्माण में व्यस्त थे और एक ऐसे अभिनेता की तलाश में थे जो रूमानी भूमिका के साथ-साथ एक्शन दृश्य भी कर सके।
इस दौरान उन्होंने अजय के बारे में सुना कि वह एक्शन और नृत्य करने में माहिर है और उन्होंने उनसे फिल्म का नायक बनने की पेशकश की। अपनी पहली ही फिल्म की सफलता के बाद अजय दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। फूल और कांटे की सफलता के बाद अजय देवगन की छवि एक्शन हीरो के रूप में बन गयी। इस फिल्म के बाद निर्माता निर्देशकों ने अधिकतर फिल्मों में उनकी एक्शन हीरो वाली छवि को भुनाया। इन फिल्मों में जिगर, प्लेटफार्म, शक्तिमान और एक ही रास्ता जैसी फिल्में शामिल थीं।
नब्बे के दशक में अजय पर यह आरोप लगने लगे कि वह केवल मारधाड़ और एक्शन से भरपूर फिल्में ही कर सकते हैं। उन्हें इस छवि से बाहर निकालने में निर्माता-निर्देशक इंद्र कुमार ने मदद की। उन्होंने अजय को लेकर 1997 में फिल्म 'इश्क' का निर्माण किया जिसमें उन्होंने अजय से हास्य अभिनय कराकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया। वर्ष 1998 अजय के सिने कैरियर का महत्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उन्हें महेश भटृ की फिल्म 'जख्म' में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में वह अपने दमदार अभिनय से न सिर्फ दर्शकों बल्कि समीक्षकों का दिल जीतने में भी सफल रहे। इस फिल्म के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1998 में ही अजय के सिने कैरियर की एक और हिट फिल्म 'मेजर साब' प्रदर्शित हुयी। इस फिल्म में उन्हें सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के साथ पहली बार काम करने का अवसर मिला लेकिन अजय अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे।
वर्ष 1999 में संजय लीला भंसाली की फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' अजय के सिने कैरियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी। सलमान खान और ऐश्वर्या राय जैसे मंझे हुये सितारों की मौजूदगी में भी अजय ने अपने संजीदा किरदार को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया। इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिये वह फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामांकित भी किये गये।
वर्ष 1999 में अजय को अपने पिता वीरू देवगन के बैनर तले बनी फिल्म हिंदुस्तान की कसम में काम करने का अवसर मिला। हालांकि फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुयी लेकिन फिल्म में अजय देवगन ने अपने निभाये दोहरे किरदार से दर्शकों को रोमोंचित कर दिया। वर्ष 2000 में अजय देवगन ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और 'राजू चाचा 'का निर्माण किया लेकिन कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण टिकट खिड़की पर नकार दी गयी। इसके बाद उन्होंने 2008 में फिल्म यू मी और हम का निर्माण और निर्देशन किया। वर्ष 2009 में अजय के बैनर तले बनी फिल्म ऑल दी बेस्ट प्रदर्शित हुयी जो टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुयी।
वर्ष 2002 में अजय देवगन के सिने कैरियर की एक और सुपरहिट फिल्म कंपनी प्रदर्शित हुयी। राम गोपाल वर्मा के बैनर तली बनी इस फिल्म में वह अंडरव्लर्ड डॉन की भूमिका में दिखाई दिये। इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये वह फिल्म फेयर के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार के लिये नामांकित भी किये गये। वर्ष 2002 में ही अजय के सिने कैरियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म 'द लीजेंड ऑफ भगत सिंह' प्रदर्शित हुयी। राज कुमार संतोषी निर्देशित इस फिल्म में उन्होंने 'भगत सिंह' के किरदार को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया। इस फिल्म के लिये उन्हें फिल्मफेयर के समीक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साथ ही वह अपने सिने कैरियर में दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किये गये।
वर्ष 2003 में अजय के सिने कैरियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म 'गंगाजल' प्रदर्शित हुयी। बिहार में आपराधिक पृष्ठभूमि पर बनी प्रकाश झा की इस फिल्म में अजय ने पुलिस अधीक्षक की भूमिका निभाई जो प्रांत में फैले अपराध को समाप्त कर देता है।
वर्ष 2006 में अजय के सिने कैरियर की एक और सुपरहिट फिल्म 'ओमकारा' प्रदर्शित हुयी। विशाल भारद्धाज के निर्देशन में शेक्सपियर के बहुचर्चित नाटक ओथेलो पर आधारित इस फिल्म में अजय देवगन टाइटल भूमिका में दिखाई दिये और अपने संजीदा अभिनय से दर्शकों के साथ-साथ समीक्षकों का दिल जीतने में सफल रहे और फिल्म को सुपरहिट बना दिया।
इसके बाद अजय ने गोलमाल रिटर्न, अतिथी तुम कब जाओगे, राजनीत, वंस अपोन ए टाइम इन मुंबई दुबारा, गोलमाल 3, सिंघम, बोल बच्चन, सन ऑफ सरदार, सिंघम रिटर्न, गोलमाल अगेन, रेड, टोटल धमाल, दे दे प्यार दे और तान्हाजी जैसी सुपरहिट फिल्मों में भी काम किया। उनके सिने कैरियर में उनकी जोड़ी अभिनेत्री काजोल के साथ खूब जमी। वर्ष 1999 में अजय और काजोल ने शादी कर ली। अजय अपने सिने कैरियर में अब तक 100 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं।