उनके अधखुले होठों ने कयामत ढा दी थी. विदेशी मीडिया ने उनके बारे में लिखा .अन किस्ड गर्ल.. लाखों दिलों की धड़कन बनी यह अभिनेत्री निम्मी पर्दे पर जिस शालीनता से नजर आती रहीं उसी शालीनता से पूरी ज़िंदगी बसर कर दी. उनका बुधवार 25 मार्च को मुंबई में निधन हो गया.
नवाब बानो उर्फ़ निम्मी का जन्म 18 फ़रवरी 1933 में आगरा के पास फ़तेहाबाद में अपने ननिहाल में हुआ.निम्मी की मां वहीदन की शादी मेरठ में हुई. निम्मी के निम्मी के पिता अब्दुल हकीम रोजगार की तलाश में एक बार कोलकाता चले गए. जहां रोजगार की तलाश के दौरान हीं उन्हें फिल्म में काम करने का मौका मिला. कोलकाता में उनके पड़ोसी थे फ़िल्म निर्देशक ए आर कारदार.
उन्होंने अपनी एक फ़िल्म में निम्मी के पिता को जज का छोटा सा रोल दिया लेकिन कैमरे के सामने वो बुरी तरह नर्वस हो गए. इसी फ़िल्म में कारदार ने निम्मी की मां वहीदन को भी एक रोल दिया और फ़िल्म में एक गाना भी गवाया.वहीदन अपनी आवाज़ और अभिनय की वजह से फ़ौरन लोगों की नज़रों में आ गयीं.
मुम्बई में रणजीत मूवीटोन के मालिक चंदूलाल शाह ने भी ये फ़िल्म देखी और उन्होंने वहीदन को मुम्बई बुलाया. वहीदन ने मुम्बई पहुंच कर .पृथ्वी पुत्र., .प्रोफ़ेसर वुमन एमएससी.,.रिक्शावाला (1938).और .ठोकर (1939).
जैसी कुछ फिल्मों में काम किया.लेकिन तबियत खराब होने की वजह से अपने घर फ़तेहाबाद चली गयीं और कुछ दिनो बाद उनकी मृत्यु हो गयी. उस समय निम्मी की उम्र महज़ सात साल थी.मां की मृत्यु के बाद निम्मी अपने ननिहाल फ़तेहाबाद में रहीं. देश के विभाजन को लेकर हुए दंगों के माहौल से घबरा कर 14 साल की उम्र में निम्मी अपनी नानी के साथ मुम्बई अपनी मौसी के घर पहुंचीं.
नरगिस की मां जद्दनबाई से निम्मी के परिवार की पहचान थी. एक दिन महबूब की फ़िल्म अंदाज़ की शूटिंग देखने निम्मी सेंट्रल स्टूडियो पहुंचीं तो वहां जद्दन बाई ने निम्मी को अपने पास बुला कर बिठा लिया. तभी राजकपूर की नज़र निम्मी पर पड़ी. राजकपूर उन दिनो अपनी फ़िल्म बरसात की तैयारी कर रहे थे.
उन्हें उस फ़िल्म के लिये जिस शर्मीली और कमसिन लड़की की तलाश थी वो उन्हें निम्मी में नज़र आयी. उन्होंने निम्मी को बरसात के लिये चुन लिया गया. राजकपूर ने ही उन्हें निम्मी नाम दिया. .बरसात. रिलीज़ होने के बाद निम्मी रातों रात स्टार बन गयी. इसके बाद निम्मी ने उस दौर के सभी अभिनेताओं के साथ फिल्में कीं. दिलीप कुमार के साथ निम्मी ने पांच फ़िल्मों में काम किया.
.दीदार(1951)., .आन (1952)., .दाग़ (1954)., .अमर(1955)., और .उड़न खटोला (1955).. दीदार, दाग, और अमर में निम्मी का यादगार अभिनय देखा जा सकता है. निम्मी की आवाज़ भी बहुत अच्छी थी उन्होंने फ़िल्म बेदर्दी(1951) में गाना भी गया. 1954 में बनी फ़िल्म .डंका. की प्रोड्यूसर निम्मी थीं. वैसे तो 1965 में अशोक कुमार के साथ की गयी फ़िल्म .आकाश दीप.
निम्मी की अंतिम फ़िल्म थी लेकिन अब 1986 में रिलीज़ हुई .लव एंड गाड. उनकी अंतिम रिलीज़ फ़िल्म है. इस फ़िल्म को के आसिफ़ ने मुग़ले आज़म के बाद शुरू किया था. लेकिन फ़िल्म पूरी करने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गयी. 1966 में निम्मी ने लेखक अली रज़ा करे साथ शादी कर ली.
अली रज़ा निम्मी की पहली फ़िल्म बरसात के डायलाग राइटर थे और जब उन्होंने सेट पर निम्मी को देखा तो देखते रह गए. वहीं से उनको निम्मी से प्यार हो गया. इसके बाद रजा से निम्मी की मुलाकातें होने लगीं. इन मुलाकातों की वजह अली रजा का निम्मी की ओर झुकाव ही नहीं था बल्कि अहम रोल था शायरी का. निम्मी को शायरी सुनने का शौक था और अली रजा को सैकड़ों नहीं हजारों शेर याद थे. धीरे-धीरेनिम्मी अली रजा साहब के अथाह ज्ञान से प्रभावित होती चली गयीं.
कभी-कभी निम्मी शेर भी लिखती थीं जिस पर अली रजा उन्हें गंभीरता से राय देते थे. अब निमम्मी के दिल में भी अली रज़ा केलिये खास जगह बनने लगी. लेकिन दोनो की व्यस्तताएं बहुत थीं. निम्मी अभिनय में तो अली रजा फिल्में लिखने में व्यस्त रहते थे. आखिरकार 16 साल तक दोनो के बीच मजबूत हुए रिश्ते का अंजाम शादी तक पहुंच गया.
इस बीच निम्मी ने धीरे-धीरे फिल्मों का मोह भी त्याग दिया. उन्हें लगा, फिल्मों में कैरेक्टर रोल करने से यानी मां, भाभी या दीदी बनने से बेहतर है कि बेगम अली रजा बनकर घर-गृहस्थी संभाला जाए. अंत में उन्होंने ऐसा ही किया. लेकिन निम्मी कभी मां नहीं बन पायीं. 2007 में अली रज़ा की मृत्यु के बाद निम्मी बिल्कुल अकेली रह गयी थीं. और अब अपने चाहने वालों को अकेला छोड़ वो दूसरी दुनिया में चली गयी.
साभार :नवजीवन इंडिया डॉट कॉम