शास्त्री जी को फिल्म की शूटिंग देखने के लिए किया गया आमंत्रित
मीना कुमारी की बेहतरीन फिल्में
रुपहले पर्दे पर अपनी अदाकारी से दशकों तक राज करने वालीं अभिनेत्री मीना कुमारी का आज पुण्यतिथि है। फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें ट्रेजडी क्वीन कहा जाता है। कहा जाता है कि मीना कुमारी को जिंदगीभर प्यार नसीब नहीं हो सका। एक बेहतरीन अभिनेत्री, खूबसूरत गायिका और कवि के रुप में मीना कुमारी को हमेशा याद किया जाएगा। 31 मार्च 1972 को मीना कुमारी का निधन हो गया था।
शास्त्री जी को फिल्म की शूटिंग देखने के लिए किया गया आमंत्रित
यूं तो मीना कुमारी की जिंदगी से जुड़े कई किस्से हैं लेकिन इनमें एक बड़ा मशहूर है। दरअसल, मुंबई के एक स्टूडियो में भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को 'पाकीजा' फिल्म की शूटिंग देखने के लिए आमंत्रित किया गया था। महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर से यहां आने का इतना दबाव था कि शास्त्री जी उन्हें ना नहीं कह पाए और स्टूडियो पहुंच गए, लेकिव वह मीना कुमारी को पहचान नहीं पाये। मीना कुमारी और लाल बहादुर शास्त्री से जुड़े इस वाकये का जिक्र नैयर ने अपनी किताब 'आन लीडर एंड आइकॉन: फ्राम जिन्ना टू मोदी' में किया है।
लाल बहादुर शास्त्री ने मीना से मांगी माफी
उन्होंने लिखा है- 'उस वक्त वहां कई बड़े सितारे मौजूद थे। मीना कुमारी ने जैसे ही लाल बहादुर शास्त्री को माला पहनाई। शास्त्री जी ने बड़ी ही विनम्रता से मुझसे पूछा- यह महिला कौन है। मैंने हैरानी जताते हुए उनसे कहा- मीना कुमारी। शास्त्री ने अपनी अज्ञानता व्यक्त की। फिर भी मैंने उनसे सार्वजनिक तौर पर इसे स्वीकार करने की अपेक्षा कभी नहीं की थी।' उन्होंने आगे कहा, बाद में लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी स्पीच में मीना कुमारी को संबोधित करते हुए कहा था- मीना कुमारी जी...मुझे माफ करना मैंने आपका नाम पहली दफा सुना है।' हिंदी सिनेमा की खूबसूरत अभिनेत्री जो उस वक्त देश के लाखों दिलों की धड़कन थी। पहली पंक्ति में स्थिर बैठी थी और शर्मिंदगी का भाव उनके चेहरे पर था।
कहा जाता है कि पाकीज़ा फिल्म रिलीज होने के तीन हफ्ते बाद, मीना कुमारी गंभीर रूप से बीमार हो गईं। 28 मार्च 1972 को, उन्हें सेंट एलिजाबेथ के नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। वह दो दिन बाद कोमा में चली गईं और 31 मार्च 1972 को कुछ समय बाद ही उनकी मृत्यु हो गई। वह 38 वर्ष की थीं।
शराब की लत
जिस शराब को छूती भी नहीं थीं उसी ने बाद में जान ले ली मीना कुमारी ने कभी भी शराब को हाथ नहीं लगाया था, लेकिन हालात ऐसे बने कि वह इसकी आदी हो गईं। बताया जाता है कि मीना कुमारी को नींद लेने में दिक्कत होती थी। उनके डॉक्टर ने सलाह दी कि नींद की गोली की जगह ब्रांडी का एक पेग लेने से उन्हें नींद अच्छी आएगी। यह धीरे-धीरे उनकी आदत बन गई। बताया जाता है कि फिल्म 'साहब बीवी और ग़ुलाम' (1963) की शूटिंग की दौरान उन्होंने अपने रोल में डूबने के लिए शराब पीना शुरू किया। बाद में वह रोजाना शराब पीने लगीं, जिसकी वजह से उनका स्वास्थ्य गिरने लगा और वह बीमार हो गईं।
मीना कुमारी ने अपनी जिंदगी के 33 साल सिनेमा को दिए। साहेब बीवी और गुलाम, पाकीजा, मेरे अपने, आरती, बैजू बावरा, परिणीता, दिल अपना और प्रीत पराई, फुटपाथ, दिल एक मंदिर और काजल जैसी फिल्मों में उनके शानदार अभिनय को हमेशा याद किया जाएगा।
चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा, दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा
बुझ गई आस, छुप गया तारा, थरथराता रहा धुआँ तन्हा
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं, जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी, दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे, सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।
आगाज़ तॊ होता है अंजाम नहीं होता जब मेरी कहानी में वॊ नाम नहीं होता
जब ज़ुल्फ़ की कालिख़ में घुल जाए कोई राही बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं हॊता
हँस- हँस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टुकडे़ हर शख्स़ की किस्मत में ईनाम नहीं होता
बहते हुए आँसू ने आँखॊं से कहा थम कर जो मय से पिघल जाए वॊ जाम नहीं होता
दिन डूबे हैं या डूबे बारात लिये कश्ती साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं हो ता