वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर इस की आदत भी आदमी सी है, पढ़िए मशहूर शायर गुलजार की कविताएं

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर....

-गुलज़ार
स्पर्श:
-गुलज़ार
चांद इस तरह बुझा, जैसे फूंक से दिया
-गुलज़ार

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