हैंड सैनिटाइजर को कारगर बनाते हैं ये 4 चीज, जानिए कैसे करता है कीटाणुओं का खात्मा

चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरा देश परेशान है। भारत में भी हर दिन कोरोना से संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। डॉक्टर और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इससे बचाव के लिए साफ-सफाई और हाइजीन मेंटेन रखने की सलाह दे रहे हैं। खासकर हाथों की साफ-सफाई बहुत जरूरी है। हालांकि साबुन से बार-बार हाथ धोना संभव नहीं होता है। ऐसे में सैनिटाइजर बेहतर विकल्प है। लेकिन कभी आपने यह सोचा है कि सैनिटाइजर को कारगर किस तरह बनाया जाता है? नहीं तो आइए जानते हैं सैनिटाइजर कैसे करता है कीटाणुओं का खात्मा...

नींबू का रस या सुगंधित तेल हैंड सैनिटाइजर को बनाने में अल्कोहल को इस्तेमाल में लाया जाता है। अल्कोहल की महक को कम करने के लिए इसमें नींबू का रस या लौंग-तेल जैसे सुगंधित तेल को मिलाया जाता है। खुशबू को बढ़ाने के लिए इत्र का छिड़काव भी किया जाता है। इन्हीं वजहों से सैनिटाइजर को इस्तेमाल करते वक्त भीनी-भीनी खुशबू आती रहती है।
बेंजाल्कोनियम क्लोराइड बेंजाल्कोनियम क्लोराइड एक एंटीसेप्टिक एजेंट है, जो किटाणुओं को खत्म करने का काम करता है। यदि सैनिटाइजर लगाने के बाद हाथों में थोड़ी सी जलन होती है तो वो इसी केमिकल के वजह से होती है। बेंजाल्कोनियम क्लोराइड का उपयोग कई दवाईयों के निर्माण में भी होता है।
ट्राइक्लोसान ट्राइक्लोसान एक तरह का केमिकल है, जिसे हैंड सैनिटाइजर में मिलाया जाता है। यह केमिकल हाथों की त्वचा को सोखते हुए अंदर तक चला जाता है औक कीटाणुओं को नष्ट कर देता है। ऐसे में इसका इस्तेमाल चीन से चार बार तक किया जा सकता है। इसके अधिक इस्तेमाल से हाथों में ड्रायनेस हो सकती है।
फैथलेट्स फैथलेट्स एक केमिकल है, जो खुशबू को बढ़ाने का काम करता है। इस केमिकल को सैनिटाइजर में महक बढ़ाने के लिए मिलाया जाता है। हालांकि इस केमिकल की मात्रा निर्धारित होनी चाहिए। कई शोधों में यह बात सामने आई है कि फैथलेट्स की अधिक मात्रा लिवर, किडनी, फेफड़ों और प्रजनन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती है। गर्भवती महिलाओं के लिए इसका अधिक उपयोग नुकसानदायक है।

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