घर पर ही करें मां दुर्गा का पाठ

मोतिहारी। आयुष्मान ज्योतिष परामर्श सेवा केन्द्र के संस्थापक आचार्य चन्दन तिवारी ने कहा है कि चैत्र नवरात्र हिन्दू धर्म के धार्मिक पर्वों में से एक है। इसे अधिकांश हिन्दू परिवार बड़े ही श्रद्धा व आस्था के साथ मनाते हैं। इसके लिए तामझाम की जरूरत नहीं है, इसे सादगी से भी मनाया जा सकता है। हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार नये वर्ष के प्रारंभ से रामनवमी तक इस पर्व को मनाया जाता है। इस त्योहार को वसंत नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है।

जब देवी पार्वती ने शुंभ और निशुंभ नाम के राक्षसों का वध किया ता तब माता ने अपनी बाहरी सुनहरी त्वचा को हटा कर देवी कालरात्रि का रूप धारण किया। कालरात्रि देवी पार्वती का उग्र और अति-उग्र रूप है। देवी कालरात्रि का रंग गहरा काला है। अपने क्रूर रूप में शुभ या मंगलकारी शक्ति के कारण देवी कालरात्रि को देवी शुभंकरी के रूप में भी जाना जाता है। इस बीच पूरी दुनिया इन दिनों कोरोना वायरस के खतरे से जूझ रही है, जिससे पूरी मानवता कराह रही है। ऐसे में हमारा फर्ज बनता है कि अपनी आस्था व श्रद्धा का प्रकटीकरण सादगी व भाव से करें। आस्था व भक्ति प्रदर्शित करने के लिए माता को तामझाम नहीं चाहिए। मां भक्त की भाव देखती है। पूजा के लिए मंदिर नहीं भाव से भरा मन होना जरूरी है। इस समय मन को ही मंदिर बनाने की जरुरत है। वैसे भी शुद्ध मन, सुंदर भाव व सकारात्मक विचार से की गई पूजा-अर्चना की जानी चाहिए। भगवती का यहीं वास होता है।
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सातवें दिन करें मां कालरात्रि की पूजा
आचार्य चन्दन तिवारी ने बताया कि मां कालरात्रि देवी अपने उपासकों को अकाल मृत्यु से भी बचाती हैं। इनके नाम के उच्चारण मात्र से ही भूत,प्रेत,राक्षस और सभी नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं। मां कालरात्रि की पूजा से ग्रह-बाधा भी दूर होती हैं। इस दौरान भक्तों को घर पर बैठकर मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। इस दौरान हवन पूजन व आरती जरूर करें। इससे आपके घर का वातावरण शुद्ध व पवित्र रहेगा। उन्होंने बताया कि क्रोना जैसी महामारी समेत सभी व्याधियों और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए मां का महामन्त्र दुर्गा सप्तशती का पाठ, जप, होम श्रेयस्कर है। कालरात्रि की आराधना विशेष फलदायी है।

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