नालंदा, प्रशांत सिंह। कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता है। इतनी तेजी से कि आप कल्पना नहीं कर सकते। ऐसे में लॉकडाउन क पूरा पालन करते हुए घरों में रहना ही एकमात्र उपाय है। यह संदेश है बिहार के नालंदा के रहने वाले एक कोरोना संक्रमित मरीज की, जिसका इलाज पटना में चल रहा है।
दैनिक जागरण ने उससे मोबाइल पर उससे उसके संक्रमण की बाबत बात की। उसे बीमारी से लड़कर स्वस्थ होने की पूरी उमीद है। वह आपबीती के माध्यम से लोगों को कोरोना को लेकर सचेत करना चाहता है। आइए जानते हैं उसकी कहानी, उसी की जुबानी...
हैलो...जी, मैं पटना के शरणम अस्पताल में पैरा मेडिकल स्टाफ हूं। मूल निवासी नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड का हूं। कोरोना वायरस से संक्रमित हूं। उम्र 30 वर्ष है। मुझे पटना में नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। वार्ड में पांच मरीज और हैं। इनमें मेरे साथ काम करने वाला वार्ड ब्वॉय भी है।
मुझे न तो सर्दी है, न खांसी और न ही बुखार, सिरदर्द या सांस लेने में तकलीफ भी नहीं है। लेकिन मैं कोरोना संक्रमित हूं। वार्ड में किसी से मिलता-जुलता नहीं। तब तक रहूंगा, जब तक पूरी तरह कोरोना निगेटिव नहीं हो जाता हूं। दोस्तों से फोन पर बात करता हूं। चैटिंग करता हूं।
ओह...दरअसल, मैं अनजाने में कोरोना का शिकार हुआ। इसका अंदाजा हमारे अस्पताल में किसी को नहीं था कि मुंगेर के जिस मरीज का इलाज शुरू किया गया है, वह कोरोना संक्रमित है। 20 एवं 21 मार्च की रात करीब दो बजे वह हॉस्पिटल में आया। मैं उसी अस्पताल में पैरा मेडिकल स्टाफ हूं। स्वजनों ने बताया था कि उसे किडनी की बीमारी है। चिकित्सक ने चेकअप के बाद डायलिसिस पर रखने की सलाह दी। मैंने मरीज की आर्टरी में डायलिसिस पाइप लगाई। दस्ताने पहन रखे थे।
वार्ड ब्वॉय ने मरीज का कपड़ा बदला था, इसलिए वह अधिक देर तक संपर्क में रहा। मैं उस रात वार्ड ब्वॉय के साथ एक ही बिस्तर पर लेटा। जैसे-जैसे सुबह हो रही थी, मरीज की हालत खराब होती जा रही थी। उसकी सांस फूलने लगी। तब संदेह हुआ कि इसे कोरोना हो सकता है। फिर उसे पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ले जाया गया। वहां उसकी मौत हो गई।
मुंगेर के कोरोना पॉजिटिव उस मरीज की मौत के बाद हम सब को क्वारंटाइन कर दिया गया। हालांकि, मुझे 21 मार्च को अहसास हो गया था कि संक्रमित होना तय है।
हां,,हैलो...21 मार्च को मेरे माता-पिता इलाज के सिलसिले में पटना आए थे। मुझसे उनकी मुलाकात नहीं हुई। वे इलाज कराकर गांव लौट गए। लेकिन यहां आने के कारण पूरे परिवार समेत गांव के उन सभी लोगों को एकांतवास दिया गया है, जिन-जिन लोगों से मेरे परिवार के सदस्य मिले।
मुझे भरोसा है। इस बीमारी से उबर जाऊंगा। आप सभी से आग्रह है कि अपने-अपने घरों में रहें। लाॅकडाउन का पालन करें। यह एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है। जैसा मेरे साथ हुआ। एनएमसीएच जो अब कोरोना अस्पताल है, व्यवस्था और दुरुस्त होनी चाहिए।...ओके, बाय-बाय