बिहार के वैशाली जिले के सहदेई बुजुर्ग प्रखंड क्षेत्र के चकजमाल वार्ड संख्या छह स्थित ब्रह्मस्थान के पास आम के बागीचे एवं बंसवारी में 41 कौओं के एक साथ मरने से गांव के लोगों में दहशत का माहौल है। जब गांव के कुछ लोग रविवार की सुबह ब्रह्मस्थान और बंसवारी के तरफ गए तो देखा की विभिन्न जगहों पर भाड़ी संख्या में कौए मऐ पड़े हैं। कुछ कौवे जमीन पर पड़े हैं, तो कुछ बांस पर लटके हुए हैं। लोगों ने जब मरे हुए कौओं की गिनती की तो 41 की संख्या निकली।
कौआ की मरने की चर्चा गांव के अलावा आसपास में फैल गई। दर्जनों की संख्या में लोग मरे हुए इन कौओं को देखने के लिए पहुंच गए। लोगों ने इसकी सूचना प्रशासनिक पदाधिकारी, स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग एवं पशुपालन पदाधिकारी को दी। इस सूचना के बाद मौके पर सीओ सोहन राम और पुलिस पदाधिकारी पहुंचें और घटनास्थल का निरीक्षण किया।
बर्ड फ्लू की आशंका से ग्रामीण सहमे जिंदा कौवा उड़ने का प्रयास कर रहा था, लेकिन उड़ नहीं पा रहा था। जब लोग मुंग के खेत एवं बंसवारी की ओर गए तो भाड़ी संख्या में कौआ मरा हुआ देखा। उसके बाद गांव के लोग कोरोना वायरस या बर्ड फ्लू होने की आशंका जता रहे है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुनिल कुमार केसरी ने बताया कि कौआ की मरने के संबंध में वरीय पदाधिकारी के अलावा वन एवं पशुपालन विभाग को सूचना दी है। उन्होंने बताया कि बर्ड फ्लू से मौत होने की आशंका जताई जा रही है। मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही सही तथ्यों का पता चल पाएगा।
बता दें कि बिहार के 2 स्थानों में मिले बर्ड फ्लू के संक्रमण के मामले में शुक्रवार से निरोधात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई। इसके पूर्व केंद्र सरकार के गाइडलाइन और आदेश मिलने के बाद पशुपालन विभाग की टीम ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर कलिंग का कार्य शुरू किया। इस काम में संक्रमित स्थान के 1 किलोमीटर के दायरे में सभी मुर्गे मुर्गियों को मारने के बाद उन्हें दफनाने की प्रक्रिया की जाती है।
पटना के कंकड़बाग के अशोकनगर रोड नंबर 14 के निकट और नालंदा जिला के कतरी सराय के सैदपुर गांव के पोल्ट्री फार्म से कलिंग का कार्य शुरू किया गया। सैदपुर में 2 टीमें लगाई गई हैं। पटना में कलिंग कार्य में वेटनरी डॉक्टरों के साथ जिला पशुपालन पदाधिकारी एवं जिलाधिकारी के द्वारा भेजे गए कर्मचारी भी साथ थे। मुर्गियों को मारने और दफनाने के अलावा उनके संक्रमित दाना पानी को भी नष्ट किया जा रहा है। पशु उत्पादन एवं संस्थान के तकनीकी देखरेख में यह काम हो रहा है।
आमतौर पर बर्ड फ्लू दिसंबर या जनवरी के ठंडे मौसम में होता है। लेकिन मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण मार्च महीने में भी यह बीमारी सबसे पहले कौवे में पाई गई। उसके बाद इन दोनों पर मुर्गियों के स्वाब में भी वायरस पाया गया। विशेषज्ञों का मानना है गर्मी बढ़ने पर इस तरह के वायरस वाली बीमारियों में अपने आप कमी आ जाएगी। वहीं, 10 किलोमीटर के दायरे में सर्विलांस रखा गया है। अन्य कहीं भी बर्ड फ्लू की शिकायत नहीं है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पशु एवं मतस्य संसाधन विभाग के पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जहां भी पक्षियों की असामान्य मृत्यु हो रही है, उस पर नजर रखें। फ्लू के प्रभाव को रोकने के लिए जरुरी कदम उठाएं। स्वास्थ्य विभाग के साथ भी संपर्क बनाये रखें। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को एक अणे मार्ग स्थित नेक संवाद में बर्ड फ्लू एवं स्वाइन फीवर को लेकर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के साथ उच्च स्तरीय बैठक की और कई निर्देश दिए।
बैठक में विभाग के सचिव एन सरवन कुमार ने बर्ड फ्लू एवं स्वाइन फीवर के संबंध में मुख्यमंत्री को विस्तृत जानकारी दी। कहा कि पटना, नालंदा एवं नवादा जिले में कौओं एवं कुछ अन्य पक्षियों के मरने की जानकारी मिली है, जिनमें बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। इन तीन जिलों में पॉल्ट्री फर्म पर भी नजर रखी जा रही है और इसके लिए आवश्यक कार्रवाई भी की जा रही है। राज्य के विभिन्न जिलों से पक्षियों के अन्य सैंपल कलेक्ट किये गए हैं, जिन्हें जांच के लिए कोलकाता भेजा जा रहा है। बर्ड फ्लू को देखते हुये पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की टीम गठित कर इस पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। भागलपुर एवं रोहतास में स्वाइन फीवर की भी जानकारी मिली है। इस संदर्भ में भी आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।