लॉकडाउन में कमाई भी लॉक
लॉकडाउन ने कमाई को भी लॉक कर दिया है। कमाई मतलब ऊपरी इनकम। महीने का वेतन तो खाते में आ ही जाएगा। लेकिन, घर का खर्चा कभी भी उस मद से नहीं करने की आदत ने इन दिनों साहब को परेशान कर रखा है। एक तो ऊपरी कमाई बंद है, ऊपर से वर्दी पहनकर लोगों को कोरोना से बचाने के लिए सड़कों पर पूरे दिन भागदौड़। ड्यूटी के नाम पर एनएच किनारे अपने थाने को मोबाइल से संचालित करने वाले साहब के चेहरे की खुशियां ही गायब है। हर दिन जोड़-घटाव में व्यस्त रहने वाले साहब को लॉकडाउन ने इस लायक भी नहीं रखा है। कोरोना ने पूरे तरीके से परेशान कर रखा है। हाइवे पर पोस्टिग से उनकी परेशानी इस कारण और बढ़ी हुई है कि न जाने कौन वीआइपी कब वहां पहुंच जाए, इस कारण ड्यूटी के लिए क्षेत्र में जमे रहने की चुनौती भी साथ में है।
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मैडम को बचा नहीं पाए
एक तरफ कोरोना वायरस का कोहराम, दूसरी तरफ मैडम का नगर में जलवा। जिस नगर से होकर गुजरने में लोग दिन में भी थर्राते रहे हैं, वहां मैडम की चाल के आगे सबकी हार थी। दबंग से दबंग लोग भी मैडम के आगे टिकने की हिम्मत नहीं रख रहे थे। साहब से लेकर मंत्री तक का आशीर्वाद रहने के कारण मैडम की अपनी मर्जी चलती रही। लेकिन, जब साहब ने मुंह फेर लिया तो मंत्री जी भी नहीं बचा सके। ये कोरोना दुनिया के साथ-साथ मैडम के लिए अशुभ बनकर आया। मैडम ने कभी सोचा भी नहीं था कि जहां उसने शेरनी की तरह काम किया वहां से गीदड़ की तरह उन्हें भागना पड़ेगा। विभाग ने उनके खिलाफ वर्षों से तैयार कुंडली के आधार पर निलंबन की कार्रवाई कर दी। आगे विभागीय कार्रवाई करने का भी आदेश है। काश मैडम हर काम मिलजुल कर करती तो सब बढि़या ही रहता।
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अब शान में हैं भाई साहब
भाई साहब भाजपा से जुड़कर जिलास्तरीय राजनीति करते हैं। स्थानीय निकाय के निर्वाचित वार्ड सदस्य भी हैं। इसलिए जनसेवा की भावना इनमें कूट-कूट कर भरी है। खुद जुझारु भी हैं। वार्ड और नगर के विकास के प्रति सदैव चितित भी रहते हैं। लेकिन इन्हें पीड़ा तब होती है जब इनकी ही पार्टी से जुड़े मंत्रीजी इनकी नहीं सुनते। मंत्री तो मंत्री उनके पीए ने भी फोन पर धमकी भरे लहजे में फटकार लगा दी। हुआ यूं कि कार्यपालक अधिकारी की शिकायत लेकर वे डीएम के पास गए थे। इसकी भनक किसी तरह कार्यपालक को लग गई। उन्होंने मंत्री के पीए से कानाफूसी कर दी। इसके बाद पीए साहब लाल होकर रात को ही फोन पर धमकाने लगे। लेकिन अब वार्ड सदस्य शान में हैं। कार्यपालक के खिलाफ की लड़ाई में जीत जो मिल गई। अब बोल रहे न्याय के मंदिर में देर है अंधेर नहीं। आगे भी लड़ाई जारी रहेगी।
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झूठे वादे से दूर
विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही थी। निर्वाचित विधायक ले लेकर दावेदार विधायक तक क्षेत्र में घूम रहे थे। एक अपने किए कार्य तो दूसरे उनकी नाकामी से लोगों को अवगत करा रहे थे। सत्ता की चासनी में डूबने के लिए आतुर लोगों की भी अपनी एक रूटीन थी। लेकिन, कोरोना वायरस ने उन्हें घरों में कैद कर दिया है। जान बची तो फिर से कुछ न कुछ किया जाएगा। लॉकडाउन में निकलना भी मना है। ऐसे ही सोशल साइट ने लॉकडाउन का उल्लंघन करती उनकी लाल गाड़ी दिखाकर उन्हें बेनकाब कर दिया है। बड़ी फजीहत हुई तब नेताजी घर में कैद हुए। अब झूठे वादे से दूर होकर घर में खुश हैं। खुश रहना भी चाहिए क्योंकि इसी बहाने अपने विकास के गणित का जोड़-घटाव भी कर रहे हैं। जनता तो भावना की भूखी है। जिस दिन यह त्रासदी दूर होगी, नेताजी को मुद्दा खोजने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
Posted By: Jagran
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