संरक्षित सूची से बाहर हो गया गोरहो डीह

सहरसा। कोसी क्षेत्र के प्राचीन इतिहास पर अंग्रेजी शासन काल से ही शोधकर्ताओं की नजर बनी हुई थी। सबसे पहले 1904 में कोसी क्षेत्र के कुछ स्थलों पर पुरात्तत्ववेताओं द्वारा खुदाई करवाई गई थी जिसमें कुछ स्थानों पर कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक साक्ष्य भी मिले थे और उस स्थल को सरकार द्वारा संरक्षण भी दिया गया। लेकिन बाद के कालखंड में ऐसे प्राचीन स्थलों को भुला दिया गया। ऐसा एक स्थल है महिषी की सीमा पर अवस्थित कहरा प्रखंड क्षेत्र का गोरहो डीह।

इस स्थल पर भी वर्ष 1904 में उत्खन्न करवाया गया था। बाद के समय में भी पुरातत्व से जुड़े लोगों द्वारा इस पर काम किया गया और वर्ष 1983 में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा इस स्थल के खुदाई के भी आदेश प्राप्त हुए। वर्ष 1984 तक उक्त स्थल पर पुरातत्त्व विभाग का बोर्ड भी लगा था लेकिन विडंबना देखिए इस स्थल को संरक्षण सूची में शामिल नहीं किया जा सका।

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1981 में आयुक्त ने लिखा था पत्र
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वर्ष 1904 में हुए उत्खन्न और वहां लगे संरक्षण बोर्ड की चर्चा करते हुए मई 1981 में तत्कालीन आयुक्त ए.वाती द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के निदेशक को लिखे पत्रांक 213 के आलोक में खुदाई का आदेश तत्कालीन पुरातत्व निदेशक एमएस.नटराज राव द्वारा पत्रांक 1119/81 ईई के माध्यम से दिया गया था।
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इस संबंध में 1979 में कहरा अंचल द्वारा संरक्षित स्थल के संबंध में रिपोर्ट भी दी गई थी
मौजा बनगांव थाना न. 137
खाता खेसरा। रकबा। चौहदी
1103 10760 -5-13 उ.दुधाई मुखिया,द.रोड, पू. सरयुग मुखिया, पं.सिहेश्वर मुखिया
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इस स्थल पर खुदाई से प्राप्त वस्तुएं
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59 पंचमार्क चांदी के सिक्के, एक स्वर्ण पत्र,10 तांबा की टूटी हुई चूड़ी सहित कुछ धागा और अन्य सामग्री की प्राप्ति हुई थी। जिसकी जांच में यह सामग्री को ई.पूर्व 2 से ईसा बाद दूसरी सदी की मानी गई थी।
Posted By: Jagran
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