जानिए क्या करना चाहिए संक्रमण से बचाने व समझाने के लिए, जाने जवाब

कोरोना वायरस ने पूरी संसार को अपनी चपेट में ले लिया है. हिंदुस्तान में भी इसके मुद्दे बढ़ रहे हैं. लोगों के मन में रोज नए-नए सवाल उठ रहे हैं. सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें व गलत जानकारियां भी प्रकाशित हो रही हैं.

इन अफवाहों व भ्रांतियों को दूर करने के लिए दुनिया स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोशिश तेज किया है. डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर उपलब्ध व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दी जा रही कोरोना से जुड़ी जानकारियों को आप तक पहुंचाने के लिए 'हिन्दुस्तान' ने प्रश्नोत्तरी की आरंभ की है. साथ ही हमारा कोशिश होगा, आपके हर सवाल का विशेषज्ञों से जवाब हासिल कर आप तक पहुंचाना.
अगर मुझे कोरोना संक्रमण होता है तो क्या मैं अपने बच्चे को दूध पिला सकती हूं? वरिष्ठ गायनोकोलॉजिस्ट डाक्टर प्रियाल तिवारी के अनुसार,आप बिल्कुल बच्चे को दूध पिला सकती हैं. दूध तक कोरोना वायरस का ट्रांसमिशन नहीं होता. स्तनपान कराने से पहले हाथ को अच्छी तरह धोएं व मास्क लगाकर ही बच्चे को दूध पिलाएं.
'जिनके घर में छोटे बच्चे हैं, उन्हें इस संक्रमण से बचाने व समझाने के लिए क्या करना चाहिए? बच्चों के लिए ठीक जानकारी का स्रोत सबसे पहले आप ही हैं. चिकित्सक पूनम कृष्णन सलाह देती हैं, 'संक्रमण होने से बचाने के लिए बच्चों को नियमित रूप से साफ-सफाई का सबक देते रहना चाहिए. उन्हें ये भी बताना चाहिए कि वे अपना हाथ कैसे साफ रखें. छोटे बच्चे सवाल बहुत पूछते हैं, चीजें छूते हैं व खाना-पानी दूसरों से शेयर करते हैं. इस तरह संक्रमण फैल सकता है. बेहतर है कि मिलकर बैठें व उन्हें क्या करना है तरीका से बता दें.'
क्या खांसी, जुकाम, बुखार के अतिरिक्त भी कोरोना वायरस के कोई दूसरे लक्षण होते हैं? बुखार आना, गले में खराश होना, सूखी खांसी व मांसपेशियों में दर्द होना इसके लक्षण हैं, लेकिन अब इसके कुछ नए लक्षण भी दिख रहे हैं, जिसने वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है. वैज्ञानिकों का बोलना है कि कोरोना वायरस के मरीजों के सूंघने की क्षमता इतनी बेकार हो जाती है कि वे किसी भी बदबूदार गंध को नहीं सूंघ पाते. वायरोलॉजिस्ट हेंड्रिक स्ट्रीक के अनुसार, जब संक्रमित लोगों से बात की, तो पता चला कि इसमें से दो तिहाई लोग ऐसे थे, जिन्हें कई दिनों से न किसी वस्तु का स्वाद पता चल पा रहा था व न ही ये किसी भी गंध को सूंघ पा रहे थे. जाँच में पता चला कि कोरोना वायरस के 30 प्रतिशत मरीज डायरिया से भी पीड़ित थे. शेनझेन में हाल में की गई एक स्टडी में भी यह बात सामने आई है कि वयस्कों के मुकाबले बच्चे तेजी से संक्रमण का शिकार हो रहे हैं, लेकिन उनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं के बराबर या हल्के दिखाई दे रहे हैं. दून अस्पताल में भर्ती एक ट्रेनी आईएफएस अधिकारी के मुताबिक, 'रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मुझे मामूली-सा बुखार आया था, जो दो दिन में दूर हो गया. मेरे गले में खराश भी नहीं हुई व कोई व लक्षण नहीं थे. लेकिन तीसरे दिन आकस्मित स्वाद व सूंघने की क्षमता समाप्त हो गयी.'
कोरोना टेस्ट में क्या-क्या किया जाता है भारतीय काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक, इसके लिए तैयार प्रयोगशाला में रियल-टाइम पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) का उपयोग किया जाएगा. इसमें अच्छे से जाँच की जाती है. नमूनों के आधार पर कोरोना के होने या न होने की पुष्टि की जाती है. इस तरह के परीक्षणों का आमतौर पर इन्फ्लूएंजा ए, इन्फ्लूएंजा बी व एच 1 एन 1 वायरस का पता लगाने में उपयोग किया जाता है. आइए जानते हैं कि कोरोना संक्रमण टेस्ट में क्या-क्या शामिल हैं:
क्वारंटाइन व आइसोलेशन में क्या फर्क है? दोनों शब्दों का संबंध भले ही वैसे कोरोना वायरस के लिए हो रहा है, लेकिन दोनों में बड़ा अंतर है. क्वारंटाइन का मतलब है, खुद को संक्रमित लोगों से दूर रखने के लिए अपने अलग कर लेना. ये बचाव वाला कदम है, ताकि आप लोगों के सम्पर्क में आए ही नहीं. वहीं आइसोलेशन में आपको तब रखा जाता है, जब आपके कोरोना वायरस की चपेट में आने की पुष्टि हो चुकी हो या फिर शक हो. उदाहरण के लिए अगर आपने हाल में कोई विदेश यात्रा की है या ऐसे किसी आदमी के सम्पर्क में आए, जो विदेश से लौटा हो या फिर ऐसे किसी आदमी से मिले हैं, जो कोरोना पॉजिटिव पाया गया है, तो आपको कुछ दिन के लिए आइसोलेशन वार्ड में निगरानी में रखा जाएगा व लक्ष्णों को देखा जाएगा.
विटामिन डी, इम्युनिटी बढ़ाने में किस तरह मदद करता है? वरिष्ठ ऑन्कोलॉजिस्ट तपस्विनी प्रधान के अनुसार, ज्यादातर लोगों में विटामिन डी सप्लीमेंट श्वसन तंत्र के संक्रमण को रोकने में सुरक्षा प्रदान करते हैं. अगर हम रोज 15 मिनट धूप में समय बिताएं, तो शरीर अपने आप विटामिन-डी की पूर्ति कर लेता है. 40 फीसदी खुले हुए हिस्से के साथ दस मिनट की धूप में शरीर 5,000 आईयू विटामिन डी बना लेता है, जबकि हर रोज करीब 1,000-4,000 आईयू की मात्रा पर्याप्त होती है.
कोरोना वायरस सीओवी-2 व कोविड-19 क्या हैं? सीधे शब्दों में, सीओवी-2 कोरोना परिवार का वह वायरस है, जो इनसानी शरीर में प्रवेश कर कोविड -19 बीमारी को जन्म देता है. यह ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है. इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है. कोरोना वायरस मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है.
'क्या कोरोना वायरस कोविड-19 का विषाणु संक्रमित आदमी के मल के जरिये भी फैल सकता है? रूमेटोलॉजिस्ट व क्लिनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट डाक्टर स्कन्द शुक्ला के अनुसार, सार्स-सीओवी 2 के नाम में ही 'रेस्पिरेटरी' विशेषण लगा हुआ है. यह विषाणु हवा में उपस्थित ड्रॉपलेट (सूक्ष्म बूंदों) और इन ड्रॉपलेट्स के वस्तुओं पर बैठ जाने के बाद उन्हें छूने से फैल सकता है. कोविड-19 के लक्षण भी मुख्य रूप से श्वसन-तंत्र से जुड़े होते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय में की गई अनेक केस-स्टडी में पेट-संबंधी लक्षण भी पाए गए हैं व मल के नमूनों में भी विषाणु के आरएनए और/अथवा सारे विषाणुओं की पुष्टि हुई है. सार्स-सीओवी 2 का मनुष्य के पाचन-तंत्र से कैसा व क्या संबंध बन रहा है, यह अभी हम जानने में लगे हैं. पूरी तरह जानने में समय लगेगा. संभावना है कि सार्स-सीओवी 2 से संक्रमित लक्षणहीन लोग (बच्चे व वयस्क) मल में विषाणु छोड़ रहे हों. इनमें से अनेक ऐसे हैं, जिनके नाक व गले से लिए गए आरटीपीसीआर-जांच के नमूने विषाणु के लिए नेगेटिव हो चुके हों. यानी नाक और गले में विषाणु न मिले, पर मल में पाया जाता रहे. जब तक पूरी तरह कुछ स्पष्ट न हो, स्वच्छता को हर तरह से अपनाएं.

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