भारत की यह यूनिवर्सिटी तैयार करेगी Coronavirus की वैक्सीन, जानें विस्तार से

देश और दुनिया में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच इसके इलाज को लेकर दुनियाभर में रिसर्च हो रही है। भारत समेत कई देशों के वैज्ञानिक इसकी दवा और टीका तैयार करने में लगे हैं। भारतीय फार्मा कंपनी सिप्ला और जापानी कंपनी टेकेडा फार्मा ने जल्द ही इसकी दवा तैयार करने का दावा किया है, तो वहीं दूसरी ओर अमेरिका में इसकी वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है। इस बीच भारत को भी कोरोना के खिलाफ जंग में बड़ी कामयाबी मिली है। यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद का दावा है कि जल्द ही कोरोना वायरस की वैक्सीन टीकाकरण के लिए तैयार होगी।

हैदराबाद यूनिवर्सिटी में तैयार करेगी कोरोनावायरस की वैक्सीन
यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद के जैव रसायन विभाग की एक संकाय सदस्य ने कोरोना वायरस के लिए यह टीका तैयार किया है। टीके को टी सेल एपिटोप्स कहा जाता है, जो नोवल कोरोना वायरस के सभी 'संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक प्रोटीनों के परीक्षण के लिए है।' इस संबंध में जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन संभावित एपिटोप्स को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि पूरी आबादी को इसका टीका लगाया जा सकता है।
कोरोनावायरस के वैक्सीन का जल्द प्रारंभ होगा परीक्षण
हैदराबाद विश्वविद्यालय के बायोकेमिस्ट्री विभाग के अंतर्गत स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज की संकाय सदस्य हैं डॉक्टर सीमा मिश्रा, जिन्होंने परीक्षण के लिए सेल एपिटोप्स नामक संभावित टीके को डिजाइन किया है। यह नोवल कोरोनोवायरस (2019-एनकोवी) के सभी संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक प्रोटीनों के खिलाफ है। ये वैक्सीन छोटे कोरोनवायरल पेप्टाइड्स हैं, जो अणुओं की कोशिकाओं द्वारा उपयोग किया जाता है।
कैसे और क्या होगा मानव कोशिकाओं पर वैक्सीन का प्रभाव
यूनिवर्सिटी की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि आमतौर पर किसी टीके की खोज में लंबा वक्त लगता है, लेकिन शक्तिशाली कम्प्यूटेशनल टूल की मदद से लगभग 10 दिनों में इस वैक्सीन को तैयार किया जा सका। वायरस को रोकने के लिए मानव कोशिकाओं द्वारा कितना प्रभाव इस्तेमाल किया जाएगा, इसके आधार पर संभावित टीकों की एक रैंक सूची तैयार की गई है। मानव प्रोटीन पूल में मौजूद किसी भी मैच के साथ इस कोरोनवायरल एपिटोप्स मानव कोशिकाओं पर कोई विपरित असर नहीं डालते हैं इसलिए प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया वायरल प्रोटीन के खिलाफ होगी न की मानव प्रोटीन के। हालांकि इन परिणामों को निर्णायक रूप प्रदान करने के लिए प्रयोगात्मक रूप से जांच की जानी है।

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