Chhath Puja: शुरू हो चुका है आस्था का महापर्व चैती छठ, खरना आज

चैती छठ(Chaiti Chhath 2020): आस्था का महापर्व चैती छठ शनिवार से शुरू हो चुका है. आज 29 मार्च को खरना है. आज व्रती निर्जला उपवास यानी कि बिना खाये पिए हुए उपवास रखेंगे। शाम के समय गुड़ की खीर बनाकर भगवान को भोग अर्पित करेंगे। इसके बाद खुद इस प्रसाद को ग्रहण करेंगे। दूसरे दिन खरना की पूजा करते वक्त इस बात का ख्याल रखना जरूरी है कि आसपास का माहौल शांत हो. खरना के दिन भक्त भगवान को चावल का पीठा या घी चुपड़ी रोटी का भी भोग लगाते हैं. गत शनिवार को भक्तों ने पहले दिन नहाय खाय की विधि पूरी की थी. व्रती सोमवार 30 मार्च को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे.छठ पर्व साल में दो बार आता है. चैत्र माह कार्तिक माह में. इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व चार दिन तक चलता है. नहाय-खाय से लेकर उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने तक चलने वाले इस पर्व का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है. इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं. व्रत के दौरान वह पानी भी ग्रहण नहीं करते हैं. यह त्योहार पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है. पारिवारिक सुख-समृध्दि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है. इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को होती है और यह कार्तिकसूर्य देव और छठी मैया की होती है पूजा: छठ पर्व में सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है.इसके साथ ही छठ पर छठी मैया की पूजा का भी विधान है. पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी मैया या षष्ठी माता संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं. शास्त्रों में षष्ठी देवी को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री भी कहा गया है. पुराणों में इन्हें मां कात्यायनी भी कहा गया है, जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि पर होती है. षष्ठी देवी को ही बिहार-झारखंड की स्थानीय भाषा में छठ मैया कहा गया है. लॉकडाउन का पड़ सकता है असर: छठ पर्व पर लोग एक साथ तालाब में एकत्र होकर भोर में सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण तालाबों में अर्घ्य नहीं दे पाएंगे। दरअसल, कोरोना वायरस के कहर के चलते ऐसा करना उचित साबित नहीं होगा।छठ पूजा सामग्री:| बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास, चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी, नाशपती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई, प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू.Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.

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