भारत ने कोविड-19 बीमारी के वाहक बने कोरोना वायरस की तस्वीर खींचने में सफलता हासिल की है। यह पहला अवसर है जब भारतीय वैज्ञानिकों ने इस वायरस की तस्वीर जारी की है।
पुणे के वैज्ञानिकों ने ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप इमेजिंग का इस्तेमाल करके यह तस्वीर खींची। इसे इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित भी किया गया है। कोविड-19 रोग फैलाने वाले इस वायरस का वैज्ञानिक का नाम सार्स-कोव-2 है जिसे बोल चाल की भाषा में कोरोना कहा जा रहा है। इस वायरस को 30 जनवरी को भारत के पहले कोरोना संक्रमित मरीज में पाया गया था। यह वायरस क्राउन (मुकुट) जैसा दिखता है इसलिए इसे कोरोना नाम दिया गया। लैटिन भाषा में कोरोना का अर्थ-मुकुट होता है। इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के पूर्व निदेशक डॉ. निर्मल गांगुली कहते हैं कि यह वायरस पहले ग्राहक कोशिका (रिसेप्टर सेल) से चिपकता है फिर उसमें समाहित हो जाता है।
सवालों का जवाब मिलेगा वायरस के उत्परिवर्तन को समझने के लिहाज से यह तस्वीर महत्वपूर्ण है। इससे वायरस के जेनेटिक उद्भव को समझने में मदद मिलेगी। यह भी जान सकेंगे कि यह जानवरों से इंसानों में किस तरह प्रवेश करता है या इंसान से इंसान में किस गति से पहुंचता है। इन सवालों का जवाब मिलते ही इसके खिलाफ कारगर दवा तैयार करने का मार्ग प्रशस्त होगा। यानी इस तस्वीर में ही कारगर इलाज के राज छिपे हैं।