कोरोना वायरस से बचने के लिए भले ही केंद्र सरकार ने 21 दिनों के लिए देश को लॉकडाउन करने का फैसला किया हो, लेकिन इस लॉकडाउन के साइड इफेक्ट क्या होंगे इस बारे में ना केंद्र सरकार ने सोचा है ना ही दिल्ली से सटे बाकी राज्यों की सरकारों ने। लॉकडाउन के ऐलान के बाद सबसे ज्यादा अगर लोगों को डर है तो वो खुद की सुरक्षा को लेकर है। इतना डर कोरोना से नहीं जितना अब भूखे मरने से लग रहा है।
कोरोना वायरस से बचने के लिए भले ही केंद्र सरकार ने 21 दिनों के लिए देश को लॉकडाउन करने का फैसला किया हो, लेकिन इस लॉकडाउन के साइड इफेक्ट क्या होंगे इस बारे में ना केंद्र सरकार ने सोचा है ना ही बाकी राज्यों की सरकारों ने। लॉकडाउन के ऐलान के बाद सबसे ज्यादा अगर लोगों को डर है तो वो खुद की सुरक्षा को लेकर है। इतना डर कोरोना से नहीं जितना अब भूखे मरने से लग रहा है।
पैदल ही तय करने निकल पड़े 400 किलोमीटर की दूरी
हैरानी की बात तो ये हैं कि ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर देश की राजधानी से 400 से 500 किलोमीटर दूर रहते हैं। अब इन्हें भी पता है कि 400-500 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय करना है। नीचे दिए गए वीडियो को ध्यान से देखिए। ये तस्वीर दिल्ली-यूपी बॉर्डर स्थित गाजीपुर की है। जहां सैकड़ों की संख्या में लोग अपने परिवार के साथ अपने गांव की ओर कूच कर रहे हैं। ये वही दिहाड़ी मजदूर हैं जो कमाने के सपने के साथ दिल्ली आए थे, लेकिन स्थिती ये है कि पैसा तो छोड़िए जान बच जाए वही बहुत है। ऐसी स्थिती सिर्फ दिल्ली-एनसीआर की नहीं बल्कि कई राज्यों से भी ऐसी तस्वीरें पिछले दो दिनों में सामने आई है।
सरकार के वादों पर नहीं कर पा रहे यकीन
हालांकि सरकार भी लगातार इन मजदूरों से यही अपील कर रही है कि आप जहां भी हैं वहीं रहिए। सरकार आपकी मदद में 24 घंटे तैयार है। लेकिन सरकार की बात पर ये लोग विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। कई मजदूरों का कहना है कि दिल्ली जैसे शहर में दिहाड़ी मजदूरों की संख्या हजारों में है। ऐसे में कितने लोगों तक सरकार की मदद पहुंच पाएगी। यही वजह है कि लोग बिना सोचे समझे अपने राज्यों की ओर पैदल ही कूच कर रहे हैं। इनका मानना है कि अपने घर के अलावा हम कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। इन वीडियो से उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के उस दावे की भी पोल भी खुल गई है जिसमें कहा गया था कि इन मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है । वहीं कांग्रेस ने भी एक वीडियो ट्वीट कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस घोषणा की आलोचना की है जिसमें कहा गया था कि इन प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है।
मुख्यमंत्री जी आपकी सारी घोषणाएं धरी की धरी रह गईं! अमल के नाम पर शुन्य बटे सन्नाटा! ये बेचारे कल भी पैदल थे और आज भी, कोई फर्क नहीं पड़ने वाला!! pic.twitter.com/uwSIHT2uac
पलायन कर रहे मजदूरों की मदद करे सरकार : प्रियंका गांधी
यूपी सरकार के झूठे दावों को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि दिल्ली के बॉर्डर पर त्रासद स्थिति पैदा हो चुकी है। हजारों की संख्या में लोग पैदल अपने घरों की तरफ निकल पड़े हैं। कोई साधन नहीं, भोजन नहीं। कोरोना का आतंक, बेरोजगारी और भूख का भय इनके पैरों को घर गाँव की ओर धकेल रहा है। मैं सरकार से प्रार्थना करती हूँ कृपया इनकी मदद कीजिए।
दिल्ली के बॉर्डर पर त्रासद स्थिति पैदा हो चुकी है। हजारों की संख्या में लोग पैदल अपने घरों की तरफ निकल पड़े हैं। कोई साधन नहीं, भोजन नहीं। कोरोना का आतंक, बेरोजगारी और भूख का भय इनके पैरों को घर गाँव की ओर धकेल रहा है। मैं सरकार से प्रार्थना करती हूँ कृपया इनकी मदद कीजिए। pic.twitter.com/3vsfPDkOpS
विभाजन के बाद का सबसे बड़ा पलायन
देशभर में लॉकडाउन के बाद दिल्ली, हरियाणा, यूपी, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत देश के हर राज्य से लाखों लोग पलायन कर रहे हैं। ये पलायन विभाजन के बाद का सबसे बड़ा पलायन माना जा रहा है। लोग अपने स्थायी निवास पर पहुंचने के लिए पैदल जाने से लेकर सामान ले जाने वाले ट्रकों में सवार होने तक का खतरनाक कदम उठा रहे हैं। महाराष्ट्र पुलिस ने गुरुवार को 300 से अधिक प्रवासी कामगारों को दो कंटेनर ट्रकों के अंदर बैठ कर जाता हुआ पाया। जिस ट्रक में ये प्रवासी बैठे थे, वे तेलंगाना से राजस्थान के लिए आवश्यक वस्तुओं को ले जा रहे थे। बता दें कि बुधवार को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नजीराबाद के 16 लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर एक दूध टैंकर में छिपकर घर पहुंचे थे। उनके टैंकर से बाहर निकलने के दौरान किसी ने उनका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया। बताया जा रहा है कि सभी 16 श्रमिक देहरादून में काम करते थे और लॉकडाउन के बाद अपने घर पहुंचने के लिए उन्होंने दूध टैंकर में छिपकर आना मुनासिब समझा था।
विभाजन के दौरान कितने लोगों ने पलायन किया?
विभाजन के बाद कई महीनों तक दोनों नए देशों के बीच लोगों की आवाजाही हुई। भारत से कई मुसलमानों ने डर और अपने मुल्क की चाहत में पलायन किया तो पाकिस्तान से हिन्दुओं और सिखों ने अपना घर छोड़ दिया। जो नहीं छोड़ना चाह रहे थे उन्हें हालातों ने मजबूर कर दिया। सीमा रेखाएं तय होने के बाद लगभग 1.45 करोड़ लोगों ने सीमा पार करके अपने 'नए देश' में शरण ली। 1951 की विस्थापित जनगणना के अनुसार विभाजन के बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गए और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए।
भारत में 800 के पार पहुंचा संक्रमित मरीजों का आंकड़ा
आपको बता दें देशभर में अबतक इस महामारी के 800 से ज्यादा मामले आ चुके हैं। जिसमें से 15 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। इस वायरस का सबसे ज्यादा असर केरल और महाराष्ट्र में देखने को मिला है। केरल में इस महामारी के सबसे ज्यादा 156 मामले सामने आए हैं, वहीं महाराष्ट्र में इस वायरस से 150 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं, जिनमें से 4 लोगों की मौत हुई है।