बक्सर : कोरोना वायरस के संक्रमण की भयावहता इतनी है कि यह स्पर्श मात्र से एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाता है। खतरनाक इतना कि शरीर में इसके प्रवेश का आकलन भी तब होता है जब यह शरीर पर काफी प्रभाव छोड़ चुका होता है। इस बीच संक्रमित व्यक्ति और कितने लोगों को इससे संक्रमित कर देता है इसका कोई अंदाजा नहीं।
दरअसल, ऑपरेशन का लबादा ओढ़ यहां चिकित्सक ऐसे मरीजों की जांच कर रहे हैं। इस तरह वे अपनी जिदगी से तो खेल ही रहे हैं अपने परिवार और समाज को भी दांव पर लगा रहे हैं। हद तो यह कि कई बार उन्हें लबादा की यह सुविधा भी नहीं मिल रही है। जाहिर सी बात है, इस बीमारी की जांच की व्यवस्था तो यहां है ही नहीं, इससे इतर संक्रमित व्यक्तियों की जांच के लिए जिले में अभी तक कंप्लीट प्रोटेक्शन किट की व्यवस्था भी नहीं की गई है। इस परिस्थिति में चिकित्सक एवं चिकित्सक कर्मी जान जोखिम में डालकर अपनी जवाबदेही पूरी कर रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि चिकित्सक-र्किमयों को कई बार मास्क के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। बताया जाता है कि सैनेटाइजर तो कहीं दिख ही नहीं रहा है। अगर कभी दिखाई भी देता है तो वह अधिकारियों की जेब में ही रहता है। ऐसे में उसका उपयोग होते कहीं नहीं दिखाई पड़ता है। बहरहाल, जो भी हो शासन प्रशासन को चाहिए कि जो संक्रमित लोगों के साथ काम कर रहे हैं, उनके लिए कंप्लीट प्रोटेक्शन किट की व्यवस्था करे। लेकिन, यहां न तो शासन को इसकी चिता है और न ही प्रशासन को फिक्र। विभाग को तो मानों इससे कोई लेना-देना ही नहीं है। उसको तो बस ड्यूटी से मतलब है। चिकित्सक-कर्मी चाहे जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करें या जान देकर।