स्वास्थ्य के हिसाब से कोई भी खाद्य पदार्थ खाया जाए तो बेहतर होता है. खासतौर पर दमा के मरीजों को अपने खानपान को लेकर सतर्क रहना होता है, क्योंकि कई ऐसी चीजे हैं, जो दमा के मरीजों की तकलीफ बढ़ा सकती हैं.
सर्दियों का मौसम दमा के मरीजों के लिए बेहद मुश्किल होता है, लेकिन अन्य मौसम में भी दमा के मरीजों को अपने खानपान में ऐसी आवश्यक खाद्य सामग्रियां शामिल करनी चाहिए, जिसे खाने से उनका स्वास्थ्य हमेशा बेहतर रहे.
www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डाक्टर नबी वली के अनुसार, अस्थमा दो प्रकार का होता है. बाहरी व आंतरिक अस्थमा. कई बार संक्रमण, तनाव, खांसी आदि से अस्थमा की स्थिति व बेकार हो सकती है.
पौष्टिक दालें
दालों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है. काला चना, मूंग दाल, सोयाबीन व अन्य कई ऐसी दालें हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं. ये दालें फेफड़ों के लिए अच्छी होती हैं इसलिए दमा के मरीजों को इनका सेवन जरूर करना चाहिए. इसके अतिरिक्त दालों के सेवन से पाचन शक्ति भी मजबूत होती है.
हरी सब्जियां
फेफड़ों के लिए हरी सब्जियां बहुत ज्यादा लाभकारी होती हैं. हरी सब्जियों को खाने से फेफड़ों में कफ जमा नही हो पाता है, जिससे अस्थमा के रोगियों को अटैक आने जैसी आशंकाएं कम हो जाती हैं. हरी सब्जियों के नियमित सेवन से शरीर की आंतें व फेफड़े भी अच्छा तरह से कार्य करते हैं.
विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थ
विटामिन सी में एंटी ऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो फेफड़ों की सुरक्षा करता है. एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग अधिक विटामिन सी युक्त पदार्थ खाते हैं, उन्हें अस्थमा का अटैक आने का खतरा कम होता है, इसलिए दमा के मरीजों को खासतौर से संतरा, ब्रोकली, कीवी, खरबूजा जरूर खाना चाहिए.
शहद दालचीनी का उपयोग
अस्थमा के मरीजों के लिए शहद व दालचीनी का सेवन बहुत ज्यादा लाभप्रद होता है. रात में सोने से पहले दो से तीन चुटकी दालचीनी के साथ एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित खाने से फेफड़ों में आराम मिलता है.
तुलसी का सेवन
तुलसी में भी एंटी ऑक्सीडेंट के गुण भरपूर होते हैं, इसलिए चाय में दो से तीन पत्ते तुलसी के डालकर पीने से दमा के मरीजों में अटैक की संभावना कम हो जाती है. तुलसी शरीर के इम्यून सिस्टम को बेहतर करती है. मौसमी बीमारियों से बचने में भी तुलसी बहुत ज्यादा अच्छा औषधि है. दमे के मरीज सर्दी-खांसी जैसी मौसमी बीमारियों से जल्दी ग्रसित हो जाते हैं, इसलिए उन्हें तुलसी का सेवन नियमित करना चाहिए.
सेब का नियमित सेवन
एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग सप्ताह में चार से पांच सेब खाते हैं, उनमें अस्थमा अटैक की संभावना 32 प्रतिशत कम हो जाती है. सेब में पाया जाने वाला फ्लैवोनाइड तत्व फेंफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में सहायक होता है, इसलिए सेब खाना दमा के मरीजों के लिए लाभकारी है.
कॉफी या ब्लैक टी
कॉफी भी फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करती है, क्योंकि इसमें पाया जाने वाला कैफीन एक प्रकार का ब्रॉन्कोलाइटर है, जो फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है. शरीर में ऊर्जा भी बढ़ाता है व स्फूर्ति लाता है.
www.myupchar.com से जुड़े डाक्टर लक्ष्मीदत्ता शुक्ला के अनुसार, इनके अतिरिक्त हींग, गाजर, आजवाइन, अंजीर के सेवन से भी दमा दूर होता है.
ये चीजें कभी न खाएं दमा के मरीज
दमा के मरीजों को अंडे, गेहूं व सोया से बने पदार्थ नहीं खाने चाहिए. इसके अतिरिक्त कई अस्थमा के रोगियों के लिए पपीता, केला, चीनी, चावल व दही भी नुकसानदायक होता है. साथ ही दमा के मरीजों को तले हुए खाद्य पदार्थ भी नहीं खाने चाहिए.