राज्य ब्यूरो पटना। महामारी कोरोना ने सामान्य गति से चलने वाले जीवन को बे-पटरी कर दिया है। आलम यह है की कैंसर समेत अन्य जानलेवा बीमारी के मरीज या तो निजी और सरकारी अस्पतालों या फिर अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं। इन्हें इंतज़ार है स्थिति के सामान्य होने का। क्योकि ये भी जानते हैं कि कोरोना पर जब तक नियंत्रण नहीं हो जाता उन्हें इसी तरह तिल-तिल कर हर पल बिताना होगा।
कोरोना की वजह से राज्य के साथ -साथ पूरा देश लॉक डाउन में है। सभी प्रकार के वाहनों के साथ बस, ट्रेन और हवाई यात्रा तक पर रोक है। जिस वजह से गंभीर मरीज जिनके जांच सैम्पल मुम्बई, बंगलुरु, पुणे या जिस भी दूसरी जगह जाने थे उन्हें भेजना संभव नहीं।
इतना ही नहीं कई अस्पताल हवाई कुरियर सेवा का उपयोग भी जांच के लिए करते रहे हैं वे भी मजबूर हैं, क्योंकि राज्य में कुरियर सेवा भी बंद है। ना तो राज्य के बाहर कुरियर जा रहे हैं ना ही आ पा रहे हैं। अलबत्ता ऐसे जिन मरीजों के सैम्पल लॉक डाउन के पूर्व भेजे गए थे उनकी रिपोर्ट जरूर मिल जा रही है। यह रिपोर्ट ई-मेल की जरिए अस्पताल तक आ रही है।
बुद्धा कैंसर अस्पताल निदेशक डॉ. अरविंद कुमार कहते हैं अचानक सब बन्द होने से परेशानी बढ़ी है। सैम्पल जांच नही ही सकती इसलिए अधिकांश कैंसर मरीज को ओरल टैबलेट पर किया गया है। कीमोथेरेपी तक आवश्यक होने पर हो रही है। क्योंकि मरीज की हालत बिगड़ी तो हम कुछ नहीं कर सकेंगे। कोई विकल्प नहीं।
फिलहाल इस समस्या का समाधान सरकार के पास भी नहीं। सरकार में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार कहते हैं यह आपदा के दौर है। सरकार भी मजबूर है। खुद सरकार को कई आवश्यक उपकरण इन्हीं परेशानियों की वजह से नहीं मिल पा रहे हैं। वे कहते हैं निश्चित रूप से जिनके घर का कोई व्यक्ति घर या अस्पताल में है और जिसकी जांच महज लॉक डाउन की वजह से बाधित है सरकार वैसे लोगों की पीड़ा समझ सकती है। मगर सरकार भी फिलहाल मजबूर है। वे कहते हैं हर स्तर पर जाकर कोरोना महामारी पर काबू के प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहा ऐसे तमाम पीड़ितों के साथ सरकार हमदर्दी रखती है। सभी लोगों को स्थिति सामान्य होने तक धैर्य रखना होगा और सरकार को अपना सहयोग करना होगा।