मुजफ्फरपुर, जेएनएन। चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन गुरुवार को श्रद्धालु भक्तों ने अपने-अपने घरों में विधि-विधान मां भगवती के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की। देवी मंदिरों में मंदिर के पुजारियों ने मां की विधिवत पूजा की। हालांकि देशव्यापी लॉक डाउन के कारण मंदिर बंद होने से परिसर सूना लग रहा था। मंदिरों में इस बार न तो हर बार की तरह देवी स्तोत्र ही गूंज रहा है और न ही संध्या समय लोग दीप जलाने के लिए मंदिर जा पा रहे हैं। कई घरों में पंडितों ने तो कई ने खुद से नवरात्र के पठ किए। कई पंडित कोरोना वायरस को लेकर यजमानों के यहां जाने से बच रहे हैं।
दूसरे स्वरूप की पूजा का है खास महत्व
रमना स्थित मां राज राजेश्वरी देवी मंदिर के पुजारी आचार्य अमित तिवारी ने बताया कि नवरात्र में मां आदिशक्ति के दूसरे स्वरूप की पूजा का काफी महत्व है। मां का यह स्वरूप परम कल्याणकारी है। मां की आराधना सदैव फलदायी है। इनकी साधना से साधक के जीवन में आने वाले समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। मां भक्तों के कष्टों का निवारण शीघ्र कर देती हैं।
ब्रह्मपुरा स्थित बाबा सर्वेश्वरनाथ मंदिर सह महामाया स्थान के आचार्य संतोष तिवारी ने बताया कि शुक्रवार को नवरात्र के तीसरे दिन मां के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा-उपासना होगी। मां चंद्रघंटा का उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों को प्रेतबाधा से रक्षा करती है। मां का ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिए इस घंटे की ध्वनि गूंज उठती है। मां की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं।