नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) कोरोना वायरस के असर को देखते हुए देशभर में लॉकडाउन (Lockdown) का ऐलान कर चुके हैं। हर एक देशवासी को 14 अप्रैल तक घर में ही रहना है। यही बचाव कोरोना (Corona) का सबसे बड़ा उपचार भी है। लेकिन बावजूद इसके सैकड़ों की संख्या में तमाशबीन सड़क पर निकल रहे हैं। कोई भीड़ लगाकर खड़ा है तो कोई खाली सड़क पर सरपट वाहन दौड़ा रहा है। लेकिन पकड़े जाने पर आईपीसी 188, व दिल्ली पुलिस (Delhi Police) एक्ट 65, 66 में कार्रवाई भी खूब हो रही है। एफआईआर (FIR) तक दर्ज करने के साथ ही वाहनों को सीज भी किया जा रहा है।आईपीसी 188 लगने पर यह है सजा व जुर्मानासुप्रीम न्यायालय के वकील अनस तनवीर बताते हैं कि जब किसी ज़िले का कोई आईएएस-आईपीएस ऑफिसर (पब्लिक सर्वेंट) सरकारी आदेश को लागू करता है व कोई भी आदमी उसका उल्लघंन करता है तो उस पर आईपीसी एक्ट 188 में कार्रवाई की जाती है। इस कार्रवाई के तहत पहले एफआईआर दर्ज की जाती है, फिर 200 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है। साथ ही एक महीने की सजा भी दी जाती है। अगर उल्लघंन करने वाला मानव ज़िंदगी के लिए खतरा बनता या फिर किसी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है तो यह जुर्माना व सजा बढ़ जाते हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए पुलिस किसी को भी कारागार नहीं भेज रही है। थाने से ही जुर्माना भरने के बाद जमानत दे रही है।दिल्ली पुलिस एक्ट 65-66 में देना होता है जुर्मानाएडवोकेट अनस तनवीर का बोलना है कि जैसे आजकल बहुत सारे लोग लॉकडाउन होने के बाद भी सड़क पर घूम रहे हैं। ऐसे में पुलिस उस आदमी को दिल्ली पुलिस एक्ट 65 के तहत डिटेन कर लिया जाता है। कुछ देर तक उसे बैठाने के बाद जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाता है। वहीं दिल्ली पुलिस एक्ट 66 में लॉकडाउन का उल्लघंन करने वाले के पास जो वाहन होता है उसे सीज कर दिया जाता है। अगर वाहन चालक चाहे तो मौके पर ही जुर्माना भरकर अपने वाहन को छुड़ा सकता है।हर रोज इतने लोगों को पर रही है कार्रवाईदिल्ली पुलिस की मानें तो 24 मार्च से उसने आईपीसी एक्ट 188 व दिल्ली पुलिस एक्ट के तहत कार्रवाई शुरु की है। हर रोज दिल्ली पुलिस एक्ट 65 के तहत 5 हज़ार से ज़्यादा लोगों को डिटेन किया गया। वहीं 66 के तहत लगभग एक हज़ार वाहनों को सीज किया गया। जबकि आईपीसी 188 की कार्रवाई में 180 से लेकर 200 तक एफआइआर दर्ज की गईं।