नियोजित शिक्षकों के भरोसे चल रहा है बापू के सपनों विद्यालय

सहरसा। बहुद्देश्यीय शिक्षा के उद्देश्य से स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरंत बाद वर्ष 1950 में पूज्य बापू के निर्देश पर स्थापित बुनियादी विद्यालयों का अस्तित्व कोसी प्रमंडल में खतरे में है। राजकीय विद्यालयों की स्थापना के पूर्व से ही देश में शैक्षणिक कार्य में महती भूमिका अदा करने वाले इन बेसिक स्कूलों के स्थिति सरकार की उदासीनता के कारण दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। प्रमंडल में संचालित सभी बुनियादी विद्यालयों में अमूमन पांच सौ से सात सौ तक बच्चे अध्ययनरत हैं, लेकिन इन विद्यालयों में जहां आधारभूत संरचनाओं का बेहद अभाव है। वहीं शिक्षकों की कमी के कारण पठन-पाठन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। जहां सर्वशिक्षा अभियान से झोपड़ी में चल रहे सभी विद्यालयों का आलीशान भवन बन गया। निर्माण के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध है। वहीं 15-15 एकड़ जमीन वाले बुनियादी विद्यालयों की कोई सुध लेनेवाला तक नहीं है। अधिकांश विद्यालय छोटे से भवन या पुराने जर्जर भवन में चल रहा है।

-----
विद्यालयों में है शिक्षकों का घोर अभाव
----
कोसी प्रमंडल के अधीन सहरसा में दो, सुपौल में एक और मधेपुरा में आठ बुनियादी विद्यालय संचालित हो रहा है। इन विद्यालयों में पूर्व से ही शिक्षकों का घोर अभाव है। पहले राज्य के अधिकांश शिक्षकों को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी बना दिया गया और दो वर्ष पूर्व सरकार ने बुनियादी विद्यालयों के तकरीबन डेढ़ सौ शिक्षकों को बीएड कॉलेज के शिक्षक के रुप में प्रोन्नति दे दी। जिससे कोसी प्रमंडल से भी लगभग दो दर्जन शिक्षक विरमित हो गये। जिससे इन विद्यालयों में शिक्षकों का घोर अभाव हो गया है।
----
चंद नियोजित शिक्षकों के भरोसे चल रहा विद्यालय
---
प्रमंडल में संचालित सभी 11 स्कूलों में बुनियादी विद्यालय के शिक्षक नहीं रहे।। ऐसे में पठन-पाठन का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। सभी विद्यालयों में पूर्व से 11-11 शिक्षक कार्यरत थे, परंतु वर्तमान समय में सहरसा जिले के सूहथ बुनियादी विद्यालय, हाटी, सुपौल जिले के बसहा बुनियादी विद्यालय, मधेपुरा जिले के सुखासन, कटैया, तुलसिया, अरजपुर, मधुकरचक, अमारी, खाड़ा व रजनीवभनगामा का संचालन नियोजित शिक्षकों के भरोसे चलाया जा रहा है। जिन विद्यालयों के भरोसे बहुमुखी शिक्षा की कल्पना की गई थी, वह आज चंद नियोजित शिक्षकों के भरोसे औपचारिकता का निर्वहन मात्र कर रहा है।
------
बुनियादी विद्यालयों के शिक्षकों को प्रोन्नति दिए जाने और इन विद्यालयों लिए शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से विद्यालयों में संकट जरुर उत्पन्न हो गया है। इसकी सूचना भी समय- समय पर सरकार को दी जा रही है। इस संबंध में जबतक सरकार स्तर से कोई निर्णय नहीं होता, तबतक नियोजित शिक्षकों से ही विद्यालय चलाने की व्यवस्था की जा रही है। डा. तक्कीउद्दीन अहमद
आरडीडीई, सहरसा।

अन्य समाचार