कोरोना संकट के समय आम लोगों को वित्तीय दिक्कतों से बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने कई मोर्चों पर कार्य प्रारम्भ कर दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जहां कई राहतों की घोषणा की है,
वहीं श्रम मंत्रालय भी मजदूरों को समय पर व पूरा भुगतान दिलाने में जुट गया है. श्रम मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों से बोला है कि वे एक अप्रैल तक पूरा भुगतान सुनिश्चित करें.
मुश्किल भरा होगा एक महीना: सरकार के सामने आने वाला एक महीना बेहद दिक्कतों से भरा होगा. उसे जहां एक तरफ कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाना होगा, वहीं जो संक्रमित हो चुके हैं उनको अलग-थलग कर अच्छा भी करना है. दूसरी तरफ आर्थिक मोर्चे पर भी दशा संभालना है. लॉक डाउन व कफ्र्यू जैसे दशा में लोगों को आर्थिक परेशानी ना हो, इसके लिए भी वह सजग है. जॉब पेशा लोगों के साथ रोज कमाकर खाने वालों व मजदूरों के लिए सरकार आगे आई है. श्रम मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों व श्रम मंत्रियों को लेटर लिखकर बोला है कि मजदूरों के भुगतान में ना तो कोई कमी की जाए व ना ही देरी करें. श्रम मंत्रालय ने ईपीएफओ के तहत 65 लाख पेंशनरों को समय पर पूरा पेंशन मुहैया कराने के लिए बोला है. साथ ही मजदूरों को डीबीटी के जरिए उनकी मजदूरी का भुगतान करने के साथ लेबर वेलफेयर बोर्ड के फंड से उनको धन मुहैया कराने को बोला है. इस फंड में लगभग 52 हजार करोड़ रुपए जमा हैं व इसके तहत दर्ज़ मजदूरों की संख्या लगभग साढ़े तीन करोड़ है. प्रदेश व केन्द्र शासित प्रदेश इसका उपयोग मजदूरों की समस्याओं के निदान में कर सकते हैं.
राज्यों की किरदार अहम: सूत्रों के अनुसार सरकार को एक महीने के अंदर दशा काबू में आने की उम्मीद तो है, लेकिन आर्थिक दशा बिगड़े तो उनका प्रभाव लंबे समय तक रह सकता है. किसी तरह की छंटनी व नौकरियों में कमी पर भी निगाह है. वेतन के संकट से लोगों को बचाने की प्रयास की जा रही है. सबसे ज्यादा अहम भूमिका प्रदेश सरकारों का है, इसलिए केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय व विभाग सतत रूप से राज्यों के साथ सम्पर्क में है व लगातार उनसे संवाद किया जा रहा है.