दिल्ली दंगा पीड़ितों के लिए पुराने मुस्तफाबाद की ईदगाह में बना राहत शिविर दो-तीन दिनों में खाली हो सकता है। दंगे में जान-माल की क्षति झेल रहे इन पीड़ितों पर कोरोना वायरस की दोहरी मार पड़ रही है। उन्हें इसी वजह से जल्दबाजी में कैंप छोड़ना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार के अधिकारी दंगा पीड़ितों से कैंप छोड़कर जाने को पिछले कुछ दिनों से कह रहे थे। कैंप छोड़ने की विवशता के चलते दंगा पीड़ित किराए के मकानों में जा रहे हैं। स्वयंसेवी संगठन और आम लोग उन्हें मकान किराए पर दिलाने और शिफ्ट करने में मदद कर रहे हैं।
भीड़ के कारण कोरोना का खतरा
संक्रमण से विस्फोटक रूप में फैलने वाले कोरोना वायरस को लेकर अधिकारियों के सामने लोगों की भीड़ को रोकना सबसे बड़ी चुनौती है। ईदगाह के राहत शिविर में बहुत कम जगह में सैकड़ों लोग रह रहे हैं। उनके बीच कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा लगातार बना हुआ है। उत्तर-पूर्वी जिले के एक अधिकारी ने बताया हम चाहते हैं कि लोग अपने घरों में चले जाएं ताकि कोरोना का खतरा कम हो सके। प्रशासन इन लोगों को शिफ्ट करने के लिए हर संभव मदद कर रहा है।
आज 200 लोगों को किराए के घरों में भेजा
ईदगाह से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता हाजी नईम का कहना है कि ईदगाह से दंगा पीड़ित भी अपने घरों में जाना चाहते हैं। उन्हें मकान किराए पर दिलाने में आर्थिक मदद और दैनिक इस्तेमाल के साथ राशन दिया जा रहा है ताकि वे दोबारा अपने जीवन को संवार सकें। आज ईदगाह में करीब 250-300 लोग रह रहे थे लेकिन शाम तक इनकी संख्या घटकर 100 से नीचे आ गई।
बाकी को दो-तीन दिनों में शिफ्ट करेंगे
इन लोगों को उनके घरों के लिए भेज दिया गया। चूंकि अधिकांश लोगों के पास अपना मकान नहीं है, इसलिए उन्हें किराए का मकान दिलाया गया और उनका किराया सामाजिक संस्थाओं ने अदा कर दिया। बाकी लोगों को मकान किराए पर दिलाने के प्रयास हो रहे हैं। उन्हें भी दो-तीन दिनों में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
कहीं भी रहें, मुआवजा अवश्य मिलेगा-प्रशासन
कई दंगा पीड़ित इस वजह से जाने को राजी नहीं थे कि उन्हें वहां से जाने के बाद बकाया मुआवजा नहीं मिल पाएगा। लेकिन अधिकारी उन्हें समझा रहे हैं कि वे कहीं भी रहें, उन्हें मुआवजा अवश्य मिलेगा। वैसे भी उनके बैंक खाते में ही पैसा ट्रांसफर किया जाएगा। इस समय कोरोना वायरस के कारण बैंकिंग सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं।