कोरोना की मार पुरे भारत क्या पूरे दुनिया पर पड़ी है, कोई अपने बिज़नेस को लेकर परेशान है तो कोई अपने रोजी रोटी को लेकर. मगर इन सब के बिच बिहार के गरीबो और मजदूरों को अपना घर चलाना मुश्किल हो रहा है. बिहार ऐसा राज्य है जहा बहुत से ऐसे लोग और मजदूर है जो प्रतिदिन कमाई कर अपना परिवार चलाते हैं.
बिहार में वो लोग आज कोरोना से बेहद दैनिये स्तिथि में है जो रिक्शा चलाते है, कबाड़ी का काम करते है, होटल या रेस्टोरेंट में काम करते है. आज इनके पास दैनिक कमाई का साधन कोरोना ने ख़तम कर दिया है क्योकि लॉक डाउन के कारन कोई भी घर से बहार नहीं निकल रहा, जिसके कारण सारे काम बंद है.
हालांकि, इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस लॉकडाउन की स्थिति में गरीबों के राहत के लिए सहायता देने की घोषणा करते हुए राशन कार्ड वाले परिवारों को एक महीने तक मुफ्त राशन देने तथा जिन इलाकों में लॉकडाउन है, वहां राशन कार्डधारक परिवारों को 1,000 रुपये की सहायता देने का एलान किया है।
इसके अलावा सभी प्रकार के पेंशन जैसे वृद्घा, दिव्यांग, विधवा पेंशन पाने वालों को अगले 3 महीने की पेंशन 31 मार्च से पहले दी जाएगी, जो उनके बैंक खाते में सीधे भेजे जाने की भी घोषणा है। लेकिन, बिहार में कई ऐसे परिवार भी हैं, जिनके पास राशन कॉर्ड नहीं है और ना ही पेंशन उनके परिजन को मिलता है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणा नाकाफी है। उन्होंने कहा कि राज्य में कई ऐसे परिवार भी हैं, जिनके पास राशन कॉर्ड नहीं है और ना ही पेंशन उनके परिजन को मिलता है। लॉकडाउन के कारण ऐसे कई लोग बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को असंगठित मजदूरों पर भी ध्यान देना चाहिए।