सुपौल। भैया घरो आबै छथि की भौजी? हुनका कहि दिऔन्ह कि इ हवा (कोरोना) जखन बंद भ जैतेक तखने घर औताह..। नुनूआ के घरे में राखब आ बाबूजी किछु दिन बाध-बोन नहि जैथिन्ह सैह ठीक रहतैक। खेती-बाड़ी त होइते रहैत छैक। एहि समय परहेज आवश्यक छै।
मोबाइल पर फोन कॉल करने के बाद पहले खांसते हुए एक व्यक्ति की आवाज और उसके बाद कोरोना वायरस से बचाव संबंधी जानकारी का कॉलर ट्यून तो बजता ही है साथ ही कॉल मिलने के बाद शुरू हो जाती है कोरोना से बचाव संबंधी बातें। मोबाइल पर स्वजनों से कोरोना से ऊपजे सवाल पूछे जाते हैं और एक-दूसरे को बचाव की जानकारी दी जा रही है साथ ही दी जा रही है परहेज की हिदायत।
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कोरोना वायरस मुख्य रूप से छूने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति को छूने से या उसके द्वारा छुए हुए किसी सामान को छूने से वायरस दूसरे व्यक्ति के हाथ में लगता है। इस हाथ से अगर आंख, नाक, कान, मुंह को छुआ जाता है तो अगला व्यक्ति संक्रमित हो जाता है। इसलिए लोगों के बीच एक मीटर की दूरी बनाए रखने, भीड़भाड़ में जाने से बचने, अनावश्यक यात्रा नहीं करने आदि की सलाह दी जा रही है। वायरस को लेकर फैलाई जा रही जागरूकता का असर यह है कि लोग एक-दूसरे को हिदायत देने लगे हैं। फोन पर हिदायत देते नजर आते हैं।
दरअसल इस इलाके की बड़ी आबादी रोजगार के सिलसिले में अन्य प्रदेशों में रहती है। कोरोना के फैलाव के बाद अधिकांश जगहों पर लॉकडाउन हो चुका है। वहां के कारोबार बंद हो गए हैं। उन जगहों से लोग या तो घर लौट रहे हैं या फिर लौटने की तैयारी में लगे हैं। बीमारी के प्रकोप को देखते हुए सड़कों पर वाहनों का परिचालन बंद किया जा चुका है, लौटने में भी परेशानी है और यात्रा के दौरान संक्रमण का खतरा अलग से। इसलिए लोग स्वजनों को जहां हैं वहीं रहने की सलाह दे रहे हैं। जिले में इससे बचाव को लेकर लोगों की जागरूकता का अंदाजा तो जनता कर्फ्यू के दौरान ही चल गया था। लोग घरों से नहीं निकले, सड़कें वीरान रहीं। शाम पांच बजे ताली और थाली बजाकर उन लोगों की हौसला आफजाई की जो कोरोना से लड़ने के लिए अपनी सेवा दे रहे हैं। अब जब लॉकडाउन है तो स्वजनों को इसके पालन का सुझाव दिया जाना कोरोना हो हराने में कारगर साबित होगा।
Posted By: Jagran
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