बक्सर : रविवार यानी कोरोना से बचाव के लिए सतर्क रहने का दिन था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर जनता कर्फ्यू का असर आम जनमानस के सहयोग से बेहतर रहा। इसका नजारा ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखने को मिला। जहां सुबह सात बजे से पहले अपने नित्य कर्म से निपटकर अन्य काम करने की जल्दी थी सभी को वैश्विक कोरोना बीमारी से बचाव के लिए घर से बाहर नहीं जाने की सोच थी। जो गांव-देहात में सफल दिखाई दिया। अमूमन गांवों में लोग ब्रह्मामुहूर्त में जग जाते हैं। खासकर, पशुपालकों को कई तरह के काम रहते हैं। मवेशियों के लिए खेतों से चारा लाना, खिलाना, दूध निकालना एवं सफाई करना। जनता कर्फ्यू के दिन जिन घरों में छोटे बच्चे हैं, उसी घरों तक दूध पहुंचा पाए। इधर, खेतों में कार्य करनेवाले किसान भी जरूरी काम एक दिन पूर्व ही कर चुके थे। जनता कर्फ्यू के दिन इटाढ़ी, उनवांस, पसहरा लख सहित अन्य हाट बाजार की दुकानें बंद थीं। सुनसान सड़कों पर कोई आ-जा नहीं रहा था। सभी लोग जनता कर्फ्यू अपनी-अपनी सहभागिता निभा रहे थे। दूध के व्यवसाय में लगे टुन्नू यादव सहित अन्य ने बताया कि रोज दुकानों पर तथा कई घरों में दूध बेचा जाता है। जिन घरों में छोटे बच्चे हैं, उसी घर में दूध सुबह में दिया गया।
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जब हेलीकॉप्टर देखने छत पर गए बच्चें व महिलाएं
इटाढ़ी : रविवार की दोपहर हेलीकॉप्टर की आवाज सुनाई पड़ी, तो बच्चे और महिलाओं ने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए हेलीकॉप्टर से दवा का छिड़काव किया जा रहा है। अपने-अपने छतों पर इसके बारे में चर्चा होने लगी। किसी ने कहा कि सैनिटाइजर का छिड़काव किया जा रहा है। किसी ने कहा कि जनता कर्फ्यू में दवा का छिड़काव हेलीकॉप्टर से किया जा रहा है। हालांकि, ह्वाट्सएप व सोशल साइट्स पर एक-दो दिन से फेक मैसेज चल रहा था कि रविवार को हेलीकॉप्टर से दवा का छिड़काव किया जाएगा। सभी के मन में एक ही बात चल रही थी कि कैसे होगा दवा का छिड़काव। वो भी आसमान से। संयोग से रविवार को दोपहर तेज आवाज सुनाई पड़़ी तो लोगों को लगा कि दवा का छिड़काव शुरू हो गया है। हालांकि, हेलीकॉप्टर से कोई दवा का छिड़काव नहीं हो रहा था।
Posted By: Jagran
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