अरवल। फसलों के दुश्मन नीलगायों ने अब पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़ मैदानी इलाकों का रुख कर लिया है। कई इलाकों में फसलों को व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा रहा है। इसका आतंक इतना बढ़ गया है कि कई जगहों पर तो उसने किसानों का कमर तोड़ कर रख दिया है। फसल चरने के अलावा उसे रौंदकर तहस-नहस कर दे रहा है। झुंड के झुंड खेतों में विचरण कर रहे इन जंगली जानवरों से किसानों के सामने बचाव के कोई उपाय नजर नहीं आ रहे हैं। फसलों की बर्बादी देख किसान बेचैन हो उठे हैं ।प्रखंड के सोन नदी के समीपवर्ती गांव सोहसा चंदा मसूदपुर भगवानपुर के अलावा दूर मैदानी राज खरसा, लोदीपुर, मूसेपुर, कोयल भुपत, सरवरपुर नाथ खसरा समेत जिले के विभिन्न गांवो के किसान नीलगायों व सांभर के आतंक से परेशान है। चारों तरफ फैले ये जंगली जानवर किसानों के सैकड़ों एकड़ खेत में लगी गेहूं समेत अन्य फसलों को चबा चुके हैं। सुनिए इन किसानों की पीड़ा कमाता के कौशलेन्द्र कुमार, धर्मा सिंह,गजेंद्र कुमार, ब्रजेश कुमार आदि किसानों का कहना है कि दो-तीन वर्ष पूर्व नीलगाय कभी कभार जंगल से भटक कर चला आता था।लेकिन इन दिनों झुंड के झुंड खेतों में विचरण कर रहा है। इसका आतंक इतना बढ़ गया है कि गेहूं, सरसों, मटर,चना, मसूर आदि फसलों को चरने से ज्यादा उसे रौंदकर बर्बाद कर रहा है। इस वर्ष तो गेहं का फसल बर्बाद कर किसानों की कमर ही तोड़ दी है। इसे देख किसान अपना माथा पीट रहे हैं, यदि यही स्थिति रही तो लोग खेती से विमुख होने लगेंगे। वहीं मसूदपुर के भगवान शर्मा व कोयल भुपत निवासी सुरेंद्र कुमार के अनुसार जंगली जानवारों के आतंक से खेत की फसलों के नुकसान के अलावा इलाके में इनकी लगातार बढ़ती संख्या भी चिता का विषय बनी है। नीलगायों ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। सब्जी की खेती करने वाले किसान रातजगा कर इसकी रखवाली कर रहे है। इस्माइलपुर निवासी सिधु ओझा बताते हैं कि कई लोग इस कारण खेती छोड़ कर रोजगार की तलाश में अन्यत्र चले गए।
Posted By: Jagran
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