शिक्षा से कहीं बड़ी है मानव जीवन की सुरक्षा, शैक्षणिक संस्थानों को इसे समझने की जरूरत

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ: शिक्षा से कहीं बड़ी है मानव जीवन की सुरक्षा। कोराना वायरस 163 देशों में कहर बरपा रहा है। अब तक 7 हजार से अधिक मौत हो चुकी है। भारत में भी सैकड़ों लोग इस वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। इस वायरस ने भारत में भी 3 लोगों को लील लिया है। ऐसे में अगर सतर्कता नहीं बरती गई तो मौत के आंकडे बढ़ने में देर नहीं लगेगी। एहतिहात के लिए सरकार ने तमाम स्कूल, कॉलेज, छात्रावास तथा कोचिग संस्थानों को बंद करने का निर्देश जारी किया है। सरकार के इस आदेश का पालन अधिकांश सरकारी तथा गैर सरकारी स्कूल तो अक्षरश: कर रहे हैं लेकिन कोचिग संस्थान को सरकार के आदेश की कोई चिता नहीं। शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के कई कोचिग संस्थान लगातार खुले हैं। जिन्हें चेतावनी दी जा रही है। लेकिन अपनी पहुंच तथा पैरवी के दावे करने वाले इन संस्थानों को अपनी जीवन से अधिक अपनी दुकानदारी की चिता है। मालूम हो इस वायरस के कहर से बचने का एकमात्र उपाय सेल्फ आइसोलेसन है। स्वयं को भीड़-भाड़ से अलग रखना जीवन हित में है। इस बात को शिक्षा की दुकान चलाने वाले विद्वान शिक्षकों को भी समझने की जरूरत है। सरकार के आदेश की अवहेलना को लेकर जिले में अबतक मात्र एक स्कूल पर ही कार्रवाई तय हुई है। लेकिन ऐसी कार्रवाई से बेफिक्र कई कोचिग संस्था मंगलवार को भी खुले रहे। धनेश्वर घाट, खंदकपर, नूरसराय सहित कई दूर-दराज इलाकों में बच्चों की भी लगी रही।

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ऐसे मामलों में एसडीओ के पास है कार्रवाई की पूरी शक्ति
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सरकार के आदेश नहीं मानने तथा किसी भी खतरनाक बीमारी को बढ़ावा देने वाली संस्था तथा उक्त व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 133 के तहत कार्रवाई करने की एसडीओ के पास पूरी शक्ति है। ऐसे में कोचिग संस्थान सहित जगह-जगह लगने वाले मेले तथा एनआरसी को लेकर आवाज उठा रहे लोगों की भीड़ किसी भी हालत में सही नहीं कही जा सकती। इस पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है।
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एनआरसी के विरोध में धरना दे रहे संगठनों को भेजी जाएगी नोटिस
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शहर के कई भागों में एनआरसी के विरोध में महीनों से लगे पंडाल में सैकड़ों की भीड़ से उठने वाली आवाज फिलहाल रूक जाएगी। कोरोना वायरस के खतरे से बचाव के लिए एसडीओ ने आदेश जारी किया है। भीड़ जुटाने वाले तमाम संगठनों को नोटिस किया जा रहा है। इस आशय की सूचना संबद्ध थाने को भी निर्गत की जा रही है। ताकि भीड़ को रोकी जा सके। भीड़ कोरोना वायरस की व्यापकता में मददगार सबित होता है। ऐसे में भीड़ पर अंकुश लगाने की सख्त जरूरत है। इसे किसी जाति-धर्म से न जोड़कर मानवहित में देखा जाना चाहिए। मांग तथा विरोध तभी संभव है, जब धरती पर जिदगी रहेगी।
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क्या कहते हैं अधिकारी
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कोरोना के संक्रमण के खतरे को देखते हुए शहर में भीड़ लगाने की इजाजत बिल्कुल नहीं है। न मेले लगाने की स्वीकृति दी जा रही है न भीड़ इकट्ठा करने की। एनआरसी के विरोध में बैठे लोगों को भी नोटिस की जा रही है। स्कूल तथा कोचिग खुले रखने की स्थिति में संचालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए प्रशासन तैयार है। क्योंकि मानव जीवन को खतरे में डालने का अधिकार किसी को नहीं है।
जनार्दन अग्रवाल
एसडीओ, बिहारशरीफ
Posted By: Jagran
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