- हाल पोठिया के मिर्जापुर पंचायत का
संवाद सूत्र, पहाड़कट्टा(किशनगंज) : पोठिया प्रखंड का आदिवासी बहुल मिर्जापुर पंचायत बंगाल की सीमा से बिल्कुल सटा हुआ है। इस पंचायत की कुल जनसंख्या 22 हजार व मतदाता सात हजार है। राजस्व गांव नौ, व मुहल्ला 48 है। स्कूलों की संख्या 12 है, जिसमें एक हाईस्कूल, मध्य विद्यालय छह व प्राथमिक विद्यालय पांच है। आगंनबाडी केंद्र कुल 13, मिनी केन्द्र दो,
जनवितरण प्रणाली की तीन दुकानें व एक उपस्वास्थ्य केन्द्र है। सात हजार परिवारों वाले इस पंचायत में 32 सौ परिवारों के पास राशनकार्ड है।
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सड़क व राशन कार्ड नहीं होना यहां की मुख्य समस्या है। सात निश्चय योजना के तहत अबतक गली नाली योजना में दो करोड़ 18 लाख का कार्य किया जा चुका है। मनरेगा, पंचम व 14 वीं वित्त योजना के तहत भी कार्य हुआ है लेकिन अब भी पंचायत में कई समस्याएं हैं। वीरपुर, शेरशाहवादी टोला में पीसीसी जलनिकासी नाला निर्माण नहीं होने से गांव में जलजमाव की समस्या उत्पन्न है। जबकि सभी 13 वार्डों में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना अन्तर्गत हर घर नल का जल के तहत कुल 19 बोरिग लगाए गए हैं। हलांकि संवेदक द्वारा धीमी गति से कार्य करने के कारण अभी तक पाइप बिछाने का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। जबकि आदिवासी टोला डीमीखाड़ी के ग्रामीण आज भी बिजली से वंचित हैं। इस प्रकार आदिवासी टोला कलोदा तथा डबरामनी में चार माह पहले पोल तार लगाकर ट्रांसफार्मर भी लगाया गया है। परंतु विभागीय उदासीनता के कारण आपूर्ति बहाल नहीं की जा सकी है।
मिर्जापुर हाट से वीरपुर को जोड़ने वाली जर्जर सड़क है बड़ी समस्या
वीरपुर चौक से विभिन्न गांव होते हुए मिर्जापुर हाट को जोड़ने वाली लगभग चार किमी लंबी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क इन दिनों काफी जर्जर हो चुकी है। सड़क पर बने गड्ढे राहगीरों के लिए परेशानियों का सबब बना हुआ है। आए दिन इस सड़क पर बने गड्ढे में गिरकर लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। लेकिन विभाग इससे बिल्कुल बेखबर है।
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पूर्व मुखिया रोबिन शर्मा, मु. नासिर हुसैन, वार्ड सदस्य सत्येंद्र सिंह, वीर सिंह, छविलाल सिंह, पंकज शर्मा सहित अन्य ग्रामीण बताते हैं कि उक्त सड़क का निर्माण लगभग 19 वर्ष पूर्व हुआ था। तब से आज तक संबंधित विभाग द्वारा सड़क की मरम्मती कार्य नहीं किया गया। सड़क निर्माण के दौरान ही मिर्जापुर शिव मंदिर के समीप फाला नदी पर पुल का निर्माण कराया गया था। वह पुल भी अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि कई दफे सांसद व विधायक से मांग की गई है। लेकिन आज तक इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल नहीं किया जा सका।
उक्त प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क क्षेत्र के किसानों तथा छात्र छात्राओं के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। जहां यह सड़क आधा दर्जन शिक्षण संस्थानों को जोड़ता है। वहीं किसान अपने खेतों में उपजे फसलों को पश्चिम बंगाल के सोनापुर व सिलीगुड़ी ले जाते हैं। जहां किसानों को उनके फसल का उचित मूल्य मिल जाता है। जबकि आधा दर्जन गांव के लोगों को यह सड़क प्रखंड व जिला मुख्यालय से जोड़ता है।
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कोट - आदिवासी बहुल इस पंचायत की आबादी 22 हजार है। 90 फीसद परिवार गरीबी रेखा से नीचे अपनी जीवनयापन करते हैं लेकिन महज 3200 परिवारों का ही राशनकार्ड बन पाया है। लगभग 40 प्रतशित परिवार का अब भी राशनकार्ड नहीं बना है। यह एक जटिल समस्या है। पंचायत के हर गांव में गत चार वर्षाें में विकासात्मक कार्य हुए हैं। हर घर नल जल योजना के तहत 13 वार्डों में 19 बोरिग लगाए गए हैं। पोखिरिया व बिलातीबाड़ी गांव में बोरिग लगाना बाकी है। आदिवासी टोला डीमीखाड़ी को छोड़कर सभी गांव में बिजली पहुंच गई है।
अनिल सोरेन, मुखिया
Posted By: Jagran
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