बक्सर : एक तरफ जहां पूरे विश्व में कोरोना का कहर जारी है। वहीं, दूसरी तरफ बिहार सरकार ने भी एहतियात के तौर पर स्कूल कॉलेजों के साथ-साथ सामुदायिक स्थानों पर आवाजाही पर भी रोक लगा दी है। जिलाधिकारी अमन समीर ने एक टास्क फोर्स का गठन कर यह स्पष्ट किया है कि, कोरोना के संक्रमण को रोकने तथा साफ-सफाई को लेकर विशेष ध्यान रखा जाए। कोरोना के बढ़ते प्रभाव को लेकर सभी चिकित्सकों की छुट्टियों को भी रद कर दिया गया है।
उधर, तमाम प्रयासों तथा सतर्कता के बीच नगर परिषद बिल्कुल ही आंखें मूंद कर बैठी है। ऐसा हम नहीं बल्कि, नगर में व्याप्त गंदगी तथा उसके निस्तारण के तौर तरीके कह रहे हैं। बक्सर में कचरा उठाव करने वाली एनजीओ ने पैसे बढ़ाए जाने की मांग को लेकर नगर परिषद के समक्ष अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में नगर परिषद के द्वारा नए एजेंसी के चयन की प्रक्रिया शुरू की जानी है। हालांकि, यह सब तकरीबन 2 माह से ज्यादा समय से कहा जा रहा है। ऐसे में हालात यह है कि, एनजीओ अनमने ढंग से कार्य कर रही है और नगर परिषद लगभग लाचार बनी बैठी है। विभिन्न मोहल्लों में जहां गंदगी का अंबार यूं ही देखा जा सकता है जिनके बीच आवारा पशु खुलेआम विचरण करते रहते हैं। वहीं, कचरा उठाव करने वाली एनजीओ कचरा उठाकर ले जाने के दौरान मनमाने ढंग से उसे बिना ढके तथा रोग बांटते हुए लेकर जा रही है। इस बारे में पूछे जाने पर नगर परिषद के कार्यपालक अभियंता सुजीत कुमार ने बताया कि, एनजीओ द्वारा वर्तमान में 34 में से 30 वार्डों का कचरा उठाया जा रहा है। जिसके लिए उसे 28 लाख रुपये प्रति माह का भुगतान भी किया जाता है लेकिन, अब एनजीओ का कहना है कि दैनिक मजदूरी ढाई सौ रुपये से बढ़ कर साढ़े तीन सौ रुपये हो जाने के कारण अब पैसे बढ़ाए जाने चाहिए। इसी विवाद के बाद नई एजेंसी के चयन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। सूत्रों की माने तो साफ सफाई करने वाली एनजीओ सत्तासीन पार्टी के एक नेता की है। ऐसे में नगर परिषद एनजीओ के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई करने से बच रहा है। बहरहाल, कारण चाहे जो भी हो लेकिन, नगर में साफ-सफाई के जगह गंदगी का अंबार लगाकर नगर परिषद ने यह तो साफ कर ही दिया है कि, वह कोरोना वायरस को बेहद ही हल्के में ले रही है।
Posted By: Jagran
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