प्रौढ़ शिक्षा की आस में बैठे साक्षरताकर्मी

सेवा विस्तार नहीं होने व बकाए मानदेय को लेकर आक्रोशित साक्षरतकर्मी अब प्रौढ़ शिक्षा लागू होने की प्रतीक्षा में बैठे हैं। उनके बीच चर्चा है कि नई शिक्षा नीति शीघ्र ही लागू होने वाली है। इस नीति के अंतर्गत प्रौढ़ शिक्षा योजना चलाई जानी है। इसमें प्रेरकों को समाहित किया जाएगा। यदि प्रौढ़ शिक्षा योजना के अंतर्गत उन्हें शामिल नहीं किया जाता तो एक बार फिर वे आंदोलन के मूड में दिखने लगेंगे। वैसे उनका आन्दोलन चरणबद्ध चला। लेकिन हुआ कुछ नहीं। आज वे बेरोजगारी का दंश झेल रहे है। लोकसभा चुनाव को लेकर प्रेरक अपनी मांगो को पूरा होने की उम्मीद लगा रहे थे। उस पर भी पानी फिर गया। स्थिति ऐसी है कि समन्वयक व सभी प्रेरक की स्थिति दयनीय हो गई है। हसपुरा के समन्वयक नरेश कुमार ने कहा केंद्र सरकार द्वारा इनका मानदेय भेज दिया गया है। लेकिन इन्हें इनका काम का भी पैसा नहीं मिली। महिला प्रेरकों को तो और भी निराश व्याप्त है। आश्वासन के दो वर्ष बीत गए पर भुगतान नहीं हो सका और 31 मार्च 18 से सेवा विस्तार भी नहीं किया गया। कहा कि हमलोगों ने दहेजबंदी, शराबबंदी, साक्षरता समेत विभिन्न सरकारी योजनाओं को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाया। यदि प्रौढ़ शिक्षा या किसी सरकारी योजना से नहीं जोड़ा गया तो वे आंदोलन के लिए पुन: बाध्य हो जाएंगे। अशोक कुमार, शिवशंकर वर्मा, संजीव कुमार, सुनीता कुमारी, मुन्नी कुमारी, पंकज कुमार, रीना कुमारी, पिकी कुमारी, करण कुमार समेत विभिन्न क्षेत्रों के प्रेरकों ने कहा कि उनके बीच अब परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। प्रेरकों की संख्या प्रदेश में 19000 है। जो आर्थिक स्थिति से जूझ रहे है।


Posted By: Jagran
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