संस., लखीसराय : वर्ष 2007 में पैनल के विरुद्ध नियुक्त जिले के 28 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों का नौकरी से हाथ धोना तय माना जा रहा है। यह कार्रवाई पटना हाई कोर्ट के आदेश पर लखीसराय के वर्तमान जिलाधिकारी शोभेन्द्र कुमार चौधरी ने 12 मार्च 2020 को अपने पत्रांक-151 में किया है। डीएम ने जिले के विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत सभी 28 चतुर्थ वर्गीय कर्मियों से सामूहिक स्पष्टीकरण 26 मार्च तक जिला नजारत में समर्पित करने को कहा है। डीएम ने पूछा है कि किस आधार पर वर्ष 2007 में तत्कालीन डीएम के आदेश पर नियुक्ति की गई थी। दरअसल पटना हाईकोर्ट ने सिविल रीट जुरीडिक्शन केस नंबर-9456/2007 एवं मिसलेनियस जुरीडिक्शन केस नंबर-3096/2015 में वादी रामगढ़ चौक प्रखंड के शरमा पंचायत अंतर्गत बरतारा निवासी उमाशंकर पांडेय एवं अन्य वगैरह बनाम बिहार सरकार पर सुनवाई के दौरान लखीसराय के डीएम को स्पष्ट आदेश दिया कि नियम के विरुद्ध 2007 में नियुक्त 28 चतुर्थ वर्गीय कर्मी को हटाकर 2004-05 के पैनल के आधार पर कार्यरत अनुसेवकों को नियमानुसार स्थायी रूप से नियुक्त कर सूचित करें। हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश संजय करोल एवं अनिल कुमार उपाध्याय की संयुक्त पीठ ने लखीसराय के डीएम शोभेन्द्र कुमार चौधरी एवं बिहार सरकार के प्रधान सचिव को सदेह (स्वंय) 16 मार्च (सोमवार) को हाईकोर्ट के समक्ष उपस्थित होने को कहा है। लखीसराय के डीएम ने कोर्ट के आदेश के आलोक में कार्यरत सभी 28 चतुर्थ वर्गीय कर्मियों से तत्काल स्पष्टीकरण पृच्छा है। डीएम शोभेन्द्र कुमार चौधरी रविवार को ही पटना के लिए रवाना हो गए। जिला समाहरणालय के नजारत सूत्रों के मुताबिक 2007 में पैनल और नियम के विरुद्ध नियुक्त कर्मियों के स्पष्टीकरण का जवब देते ही नौकरी से हटना तय है। नौकरी से वंचित होने से आशंकित सभी 28 कार्यरत चतुर्थ वर्गीय कर्मी मायूस देखे गए। जिलाधिकारी शोभेन्द्र कुमार चौधरी ने बताया कि प्रथम ²ष्टया में वर्तमान में कार्यरत चतुर्थ वर्गीय कर्मियों की नियुक्ति अवैध प्रतीत हो रही है।
दो गुटों में मारपीट, दो हिरासत में यह भी पढ़ें
Posted By: Jagran
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस