बूंदाबांदी से किसानों को सता रही रबी फसल की चिता

बारिश के कारण आम के मंजर पर बुरा प्रभाव, मधुआ व झुलसा रोग की संभावना जेएनएन., हलसी/सूर्यगढ़ा (लखीसराय) : लगातार दो तीन दिन से हो रही बूंदाबांदी से हलसी प्रखंड के किसानों के चेहरे पर मायूसी छायी हुई है। बारिश से खेतों में लगी तिलहन, दलहन, गेहूं एवं जेठुआ फसल को लेकर किसान चितित हैं। हलसी प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों के 90 फीसद लोग कृषक एवं मजदूर श्रेणी से आते हैं। इस वर्ष कम बारिश होने के कारण खरीफ फसल की बोआई नहीं हो पाई थी। खरीफ फसल की बोआई नहीं हो पाने से किसानों ने खेतों में सरसों, मसूर, चना, गेहूं के अलावे प्याज आदि फसल लगाई थी। रबी फसल से किसानों ने खरीफ फसल की भरपाई की उम्मीद लगाई थी लेकिन बूंदाबांदी से दलहन, तिलहन के फूल झड़ने व गल जाने से फसल का उत्पादन कम होने की उम्मीद है। जेठुआ प्याज की फसल भी रोग ग्रस्त होकर खराब हो रही है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. शंभू राय ने बताया कि फसल के समुचित उपचार की जानकारी किसानों को दी जा रही है। सूर्यगढ़ा प्रतिनिधि के अनुसार : शुक्रवार को मौसम में आए बदलाव से किसानों की चिता बढ़ गई है। एक तरफ बसंत के आगमन के साथ ही आम की अच्छी पैदावार की उम्मीद की जा रही है। वहीं बदलते मौसम में आम का मंजर में आम के फूल व दाना पर कीट व्याधि के बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। आसमान में बदल छाए रहने से मधुआ व जलसा रोग होने की आशंका जताई जा रही है। इससे किसानों की चिता बढ़ गई है। दवा विक्रेता अजय ठाकुर ने बताया कि कीट से बचाव के लिए मिडाकोर्लोपीड 17.8 एफएल, एक्सा कोनॉलोजोल 5 एफसी, गोरस्फिल सुपर का छिड़काव कर मधुआ एवं झुलसा रोग से आम के मंजर का बचाव कर सकते हैं।

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Posted By: Jagran
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