गुरुवार रात एवं शुक्रवार को हुई बारिश से किसानों का कलेजा फट रहा है। किसानों के खेतों में लगे गेहूं एवं दलहन, तेलहन की फसल को नुकसान हुआ है। बारिश के साथ चली तेज हवा से गेहूं का फसल गिर गया है। गेहूं का फसल गिर जाने से उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ेगा। पिछले एक पखवाड़े में कई बार हुई असमय हुई बारिश से किसानों के खलिहान से लेकर खुले आसमान में रखे गए धान भिग गया है। धान अंकुरण की अवस्था में आ गया है। भिगे धान को व्यापारी खरीदने से इंकार चले गए हैं। बारिश से रबी एवं सब्जी की फसल के साथ आम, नींबू सहित फलदार वृक्षों पर असर हुआ है। तेज हवा के झोंको से चना व मसूर में लगने वाले फूल झड़ गया है। कई इलाकों में हुई बर्फबारी से फसल कुचल गया है। सरसों एवं राई की फसल सड़ने लगे है। गेहूं की फसल लगे खेत में बारिश का पानी का जमाव हो गया है। ऐसे में अधिक नमी होने के कारण पौधा लाल होकर सड़ रहा है। आम के पेड़ों में मंजर का झड़ना एवं उसमें कीट व्याधि व रोग का प्रकोप हो गया है। मटर व गर्मा सब्जी की फसल लगभग समाप्त हो गई है। स्ट्राबेरी उत्पादक के साथ अन्नदाता मौसम के मार से हैरान हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि अपने स्वजनों का भरण-पोषण के लिए कौन सा उपाय करें। तेज धूप निकलने पर खेत में जाएं किसान : कृषि वैज्ञानिक
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कृषि विज्ञान केंद्र सिरिस के कृषि वैज्ञानिक डा. नित्यानंद ने बताया कि रबी फसल के अनुरूप मौसम नहीं रहने से किसानों को काफी परेशानी बढ़ गई है। चना व मसूर की खेती करने वाले किसानों को आगाह किया है कि बारिश के पश्चात तेज धूप निकलने पर अपने खेत में जरूर जाएं। अगर खेत से बदबू आती है व नीचे की पत्ती सड़ रहा हो तो स्ट्रेप्टासायक्लिन 50 ग्राम प्रोपोनाफॉस, 600 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर 609 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। गेहूं के फसल में भी संभव हो तो डायथेन जेड-78को 16 किलो ग्राम की दर से प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। वहीं आम के पेड़ में मसूर के दाना के आकार का फल लगा दिख रहा हो तो कार्बेंडाजाईम व मैन्कोजैब के मिश्रित दवा दो ग्राम प्रति लीटर इमिडाक्लोरोपीड एक एमएल घोलकर छिड़काव करें। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि फसल की सुरक्षा के लिए किसान केवीके फोन नंबर पर 9430949800 संपर्क स्थापित कर सकते हैं। बताया कि अभी दो दिनों तक बारिश होने की संभावना है। क्या कहते हैं डीएओ
डीएओ राजेश प्रताप सिंह बताते हैं कि फसल की क्षति पूर्ति के लिए किसान 23 मार्च तक विभाग के वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान का आक्कलन कर राजकीय प्रावधानों के अनुरूप मुआवजा दिया जाएगा। असिचित क्षेत्र के किसानों के प्रति हेक्टेयर 6 हजार 800 एवं सिचित क्षेत्र के किसानों को प्रति हेक्टेयर 13 हजार 500 रुपये बैंक अकाउंट में उपलब्ध कराए जाएंगे। एक किसान को अधिकतम दो हेक्टेयर जमीन तक का ही मुआवजा दिया जाएगा।
Posted By: Jagran
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