संता को गाने का बहुत शौक था, लेकिन उसकी आवाज बहुत बुरी थी।
होली के दिन भांग पीकर वह अपनी उसी फटी हुई आवाज में
जोर-जोर से गाना गाने लगा -
महबूबा, महबूबा गाना गाते हुए वह भांग के नशे में नाले में जा गिरा
फिर नाले से उसकी आवाज आई - मैं डूबा, मैं डूबा।
रिश्तेदार - बेटा खीर लोगे या हलवा?
पप्पू - क्यों घर में कटोरी एक ही है क्या?
रिश्तेदार - नहीं तो...
पप्पू - तो फिर दोनों लाइए.
साली जीजा से - अगर मैं आपके गालों को चूम लूं तो आप क्या करोगे ?
जीजा - निर्मल बाबा के पास जाऊँगा ।
साली - क्यों ?
जीजा - निर्मल बाबा को बताने , कृपा आनी शुरू हो गयी है ।
एक औरत बालकनी से फिसलकर..
नीचे कचरे के डिब्बे में गिरी।
ये देखकर पास बैठा टीपू जिम्मी से बोला :
"फेंकने वाला.. कुछ ज्यादा ही शौकीन लगता है,
वर्ना ये तो.. अभी 5-6 साल और चल सकती थी "
जिम्मी का हंसते-हंसते बुरा हाल हो गया।
दुकानदार - बहन जी मैं आपको कई दिनों से देख रहा हूँ,
आप हमेशा दुकान पर आती हैं,
सारे गहने देखती हैं, मगर ले नहीं जातीं, क्यों?
पिंकी - ले जाती हूं भाई साहब, आप ही ध्यान नहीं देते...!!!
दुकानदार बेहोश.