स्थानीय प्रखंड में मंगलवार की सुबह अचानक मौसम बदलने लगा। जब तक लोग कुछ समझ पाते तब तक तेज हवा के साथ बूंदाबांदी शुरू हो गई। कुछ ही देर में तेज गरज-चमक के साथ बारिश शुरू हो गई और ओले पड़े। इससे जहां फसलों को क्षति हुई वहीं ठंड में एक बार फिर से वृद्धि हो गई। बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान दलहनी व तिलहनी फसलों को होने की आशंका है। गेहूं की फसलों को भी थोड़ा बहुत नुकसान होने की ाउम्मीद है। साथ ही आम के बौर व महुआ के फूल भी प्रभावित हुए हैं। करीब दो से चार घंटे तक रूक-रूक कर बारिश होती रही। इस बीच करीब पांच मिनट तक मटर के दाने के बराबर ओले पड़े। बच्चे ओले को हाथ में उठाकर खेलते तो युवा व अधेड़ उम्र के लोग भी हाथ में लेकर ओले के साइज को आजमाते नजर आए। बारिश के कारण जगह- जगह सड़क पर जलजमाव हो गया। इससे लोगों को आवागमन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। क्षेत्र में बारिश के साथ ओले पड़ने से किसानों के माथे पर चिता की लकीर स्पष्ट दिख रही थी। मंगलवार को दिन में जैसे-जैसे बारिश तेज हो रही थी और ओले गिर रहे थे, वैसे-वैसे किसानों की चिता बढ़ते जा रही थी। किसानों की मानें तो इस समय दलहनी-तिलहनी फसल फूल लेने की ओर है। जिसमें फूल नहीं आया है उसमें बस पांच-सात दिन की ही देरी है। कई किसान का तो मटर तैयार भी हो गया है। ऐसे में यह बारिश इन फसलों के लिए काल के बराबर है। गेहूं की फसल भी फर ले रहा है। बारिश और ओले से फसल को काफी क्षती पहुंची है। इससे उत्पादन भी प्रभावित होने की आशंका है।
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Posted By: Jagran
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