छपरा । जिला परिषद अध्यक्ष मीना अरूण अपने भैंसुर अर्जुन सिंह की हत्या की खबर सुनकर रेफरल अस्पताल पहुंची। दहाड़ मारकर रोने लगी। परिवार के अन्य सदस्य भी वहां पहुंचे। सभी का रो-रोकर हाल बेहाल रहा। आमतौर पर लोग यहीं कहते रहे कि अर्जुन सिंह निहायत सीधे-साधे व्यक्ति थे। अर्जुन सिंह गल्ला का दुकान चलाते थे और उनकी पहचान क्षेत्र में व्यवसाई के रूप में थी। बताते चलें कि 20 अगस्त 2019 को अर्जुन सिंह के पुत्र सुबोध कुमार सिंह ने एसआइटी के दारोगा मिथिलेश कुमार साह तथा सिपाही मोहम्मद फारुख के गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी। इस घटना में एक अन्य पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस घटना के बाद से सुबोध कुमार सिंह फरार है। आज की घटना के बाद एसआइटी के दारोगा व सिपाही की हत्या के मामले की चर्चा लोगों की जुबान पर रही। परिजनों ने जताई थी हत्या की आशंका
जिला परिषद अध्यक्ष मीना अरूण के परिजनों ने पहले ही हत्या की आशंका जताई थी। कई बार इससे संबंधित सूचना कोर्ट में दाखिल किया था। साथ ही पुलिस प्रशासन से सुरक्षा की मांग की गई थी। समय रहते अगर पुलिस प्रशासन सजग होती तो, शायद अर्जुन सिंह की हत्या नहीं होती। उनके परिजनों का आरोप है कि पहले से लिखित आवेदन दिए जाने के बावजूद इस मामले में पुलिस प्रशासन के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी, जिसके कारण आज यह घटना हुई है और इसके लिए वह पुलिस प्रशासन को पूरी तरह दोषी ठहरा रहे हैं।
Posted By: Jagran
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