इंजन का लोगो
मधेपुरा।अगले माह से मधेपुरा में भारतीय रेल और फ्रांस की कंपनी एल्सटॉम द्वारा निर्मित देश के अब तक के सबसे पॉवरफुल इलेक्ट्रिक इंजन का इस्तेमाल रेलवे शुरू कर देगा। 12 हजार हॉर्स पावर के विद्युत इंजन का सहारनपुर में आरडीएसओ द्वारा ट्रायल लगभग पूर्ण हो चुका है। सहारनपुर में ट्रायल की सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसका रेलवे में इस्तेमाल किया जा सकेगा। आरडीएसओ की अनुमति मिलने के बाद रेलवे को इस्तेमाल से पहले मुख्य संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की हरी झंडी लेनी पड़ेगी। आरडीएसओ और सीआरएस की हरी झंडी मिलते ही रेलवे इसका इस्तेमाल करना प्रारंभ कर देगा। अभी मधेपुरा से बनाकर दो इंजन सहारनपुर भेजा गया है। रेल इंजन कारखाना के अधिकारियों के अनुसार आरडीएसओ द्वारा ट्रायल की सारी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। बस अब रिपोर्ट का इंतजार है। आरडीएसओ व उसके बाद सीआरएस की हरी झंडी मिलते ही यहां तैयार इंजनों को भेजा जाना प्रारंभ कर दिया जाएगा। मार्च तक आठ और इंजन को तैयार कर दिए जाने की तैयारी है। इसी माह हरी झंडी मिल जाने की स्थिति में अभी तैयार हालात में खड़ी दो से तीन इंजन को भेज दिया जाएगा। जबकि अगले माह यानी मार्च में और पांच इंजन भेजा जाएगा। इसके बाद रेलवे बोर्ड आवश्यकतानुसार इंजनों का इस्तेमाल ट्रेन में करना प्रारंभ कर देगा। पहले इंजन में पाई गई थी खामियां: मधेपुरा में बनने के बाद ट्रायल के लिए सहारनपुर गयी पहली इंजन में आरडीएसओ ने कुछ और सुधार को कहा था। आरडीएसओ के बताए खामियों को सुधार कर दूसरा इंजन तैयार कर सहारनपुर भेजा गया। जहां सारी टेस्टिग एवं ट्रायल की प्रक्रिया पूरी की गई। बस अब हरी झंडी मिलने का इंतजार है। फ्रेट कॉरिडोर में होगा इंजन का इस्तेमाल: मधेपुरा में तैयार विद्युत इंजन का इस्तेमाल भारतीय रेल द्वारा मालगाड़ियों के लिए अलग से बनायी जा रही फ्रेट कॉरिडोर में किया जाना है। 82 हजार करोड़ रुपये खर्च कर तैयार किये जा रहे ईस्टर्न-वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर में इस इंजन का इस्तेमाल होना प्रारम्भ होगा। फ्रेट कॉरिडोर रेलवे की अति महत्वकांक्षी योजना है। सिर्फ मालगाड़ियों के परिचालन के लिए रेलवे ने फ्रेट कॉरिडोर बनाया है। फ्रेट कॉरिडोर में मालगाड़ियों के चलना प्रारम्भ होने के बाद वर्तमान रेलवे ट्रैक पर सिर्फ यात्री ट्रेन चलाई जा सकेगी। अब तक की सबसे पॉवरफुल इंजन: मधेपुरा में तैयार विद्युत रेल इंजन देश का पहला हाई स्पीड इंजन है। इस इंजन से भारतीय रेलवे स्पीड एवं माल ढोने के मामले में चीन के समकक्ष होगी। इस इंजन से 6 हजार टन तक की वजनी मालगाड़ियों को अधिकतम 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलायी जानी है। वैसे भविष्य में इसकी रफ्तार को 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक किया जा सकेगा। मौजूदा समय में भारतीय रेलवे के पास उपलब्ध रेल इंजन से ऐसा होना संभव नही है। अभी फिलहाल भारतीय रेल की गुड्स ट्रेन में 6 हजार हॉर्स पावर की इंजन का इस्तेमाल होता है।
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कोट पावर के इंजन का ट्रायल आरडीएसओ द्वारा सहारनपुर में किया जा चुका है। पहले इंजन के ट्रायल में बताए गए खामियों को दूर कर दूसरा इंजन तैयार कर सहारनपुर भेजा जा चुका है। आरडीएसओ की हरी झंडी मिलते ही फरवरी में तीन एवं मार्च मे पांच इंजन भेज दी जाएगी। आरडीएसओ एवं सीआरएस की हरी झंडी मिलने के बाद रेलवे बोर्ड आवश्यकतानुसार इसका इस्तेमाल प्रारंभ कर सकेगी। इसी माह के अंत तक आरडीएसओ की हरी झंडी मिल जाने की उम्मीद है। आरके गुप्ता, मुख्य प्रशासनिक पदाधिकारी, मधेपुरा विद्युत रेल इंजन कारखाना
Posted By: Jagran
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