-फायरिग से हो सकती थी अप्रिय घटना
- सारण में पहले भी हो चुकी है दो दरोगा की हत्या
जासं, छपरा : अपराधियों को पकड़ने की तत्परता रिविलगंज थानाध्यक्ष किशोरी चौधरी पर भारी पड़ सकती थी। संयोग था कि वे बाइक समेत गिर पड़े। हालांकि उनकी सक्रियता का ही परिणाम था कि अपराधी अपने मकसद में कामयाब नही हो सके और पैदल ही बाइक छोड़कर फरार होने को मजबूर हो गए।
लूटपाट की बढ़ती घटनाओं के बाद नए थानाध्यक्ष के रूप में एक सप्ताह पहले कार्यभार संभालते ही किशोरी चौधरी ने सक्रियता बढ़ा दी है। इस बीच कैश लूट की बड़ी घटना को अंजाम देने के इरादे से अपराधियों के जुटने की खबर सुनकर वे आनन-फानन में बाइक से चल दिए। वह भी केवल एक पुलिसकर्मी के साथ। लेकिन उनकी यह तत्परता उनके लिए जानलेवा बन सकती थी। संख्या कम देखकर अपराधी ने फायरिग कर दी। लेकिन इसे संयोग ही कहें कि वे बाल-बाल बच गए। भगदड़ के बीच दोनों अपराधी पैदल ही भाग निकले। लेकिन एक बार फिर वहां मौजूद लोग पुलिस के सहयोग में नहीं बढ़े। संख्या बल कम रहने के कारण वहां पुलिस कमजोर पड़ गई और अपराधी भागने में कामयाब हो गये।
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सारण में अपराधियों ने कई बड़े वारदातों को अंजाम दिया है। पुलिसकर्मी की हत्या से भी नहीं चूके। पिछले वर्ष मढ़ौरा में दारोगा मिथिलेश कुमार साह और सिपाही फारूक आलम की गोली मार कर हत्या की घटना हुई थी। इसुआपुर में पांच वर्ष पहले थानाध्यक्ष संजय तिवारी अपराधियों की गोली के शिकार हो गए थे। श्याम कौड़िया रेलवे क्रॉसिग के पास मात्र एक चौकीदार को लेकर लुटेरों को पकड़ने के लिए संजय तिवारी गए थे, जिन्हें अपराधियों ने अपना निशाना बनाया।
रिविलगंज की घटना में भी कुछ ऐसा ही हुआ। पुलिस को सूचना मिली कि अपराधी जमे हुए हैं। समझा जाता है कि अपराधी भी पुलिस के आगमन को लेकर संभवत पहले से सतर्क थे।
Posted By: Jagran
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