नौकरी दिलाने के नाम पर पांच लाख की ठगी

चौगाईं, बक्सर। पुलिस विभाग में नौकरी लगाने के नाम पर एक ठग ने चौगाईं गांव के युवक से पांच लाख रुपये की ठगी कर ली। दो-तीन साल बाद भी न तो युवक की नौकरी लगी और न ही ठग ने रकम वापस किया। अंतत: थक-हारकर युवक द्वारा मुरार थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। पूछताछ करने पर ठग मुरार पुलिस के अधिकारी को फोन पर धमकी भरी लहजे में बात करने लगा। हालांकि, मुरार पुलिस द्वारा नागालैंड पुलिस में तैनात ठग को गिरफ्तार करने की तैयारी चल रही है।

मिली जानकारी के अनुसार तकरीबन दो साल पहले मुरार थाना क्षेत्र के चौगाईं गांव निवासी रंगीला ठाकुर के पुत्र मंजीत ठाकुर नामक युवक को नागालैंड पुलिस विभाग में नौकरी दिलाने के नाम के लिए भोजपुर जिला के धरहरा थाना अन्तर्गत रामपुर गांव निवासी स्व.गणेश ठाकुर के पुत्र और नागालैंड पुलिस में सिपाही के पद पर तैनात विष्णुशंकर ठाकुर ने पांच लाख पर सौदा तय किया। आरोपित के बातों पर विश्वास कर युवक मंजीत ठाकुर द्वारा विष्णुशंकर ठाकुर, पत्नी मंजु देवी और पुत्र अनिल ठाकुर के बैंक खाते में 4,16,790 रुपए ट्रांसफर किया। फिलहाल आरोपहज दीमापुर (नागालैंड) में सिपाही के पद पर तैनात है। लेकिन, समय के साथ उम्र एक्सपायर करने लगा तो ठगी के शिकार युवक द्वारा रुपये लौटाने की बात कही गई। आरोपित ने पहले तो आनाकानी की बाद में धमकी देने लगा। अंतत: मुरार थाना में आरोपित विष्णुशंकर ठाकुर सहित पत्नी और पुत्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई। मुरार थानाध्यक्ष मनोज कुमार पाठक ने बताया कि थाना में तैनात अनुसंधानकर्ता द्वारा आरोपित से पूछताछ की गई तो अनाप-शनाप बोलने लगा। पुलिस नागालैंड के अधिकारी से बात कर उक्त सिपाही को गिरफ्तार करने की तैयारी कर रही है। इसको लेकर इलाके में चर्चा का बाजार गरम है। - रोजी-रोटी का जरिया है ठगी का कारोबार नौकरी के नाम पर ठगी का कारोबार दर्जनों लोगों की रोजी-रोटी का जरिया बना है। इसमें शामिल लोग स्वयं और दलालों के माध्यम से नौकरी के नाम पर युवाओं को झांसे में लेते हैं और झूठा सब्जबाग दिखा पैसा दोहन करते है। कई लोग वर्षों से इन दलालों के चंगुल में फंसे हैं। बताया जाता है कि नौकरी दिलाने के नाम पर पैसा ऐठने वाले गिरोह के तार पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और झारखंड के अलावा दिल्ली तक फैला है। कुछ ही दिन पहले कोरानसराय निवासी गुरुदयाल सिंह अपने पुत्र की नौकरी के लिए आसानी से तथा कथित दालालों के चंगुल में फंसकर अपनी पैतृक जमीन को भी गिरवी रख दिया। लेकिन, अंत में माया मिली न राम उपर से कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाना इस परिवार के लिए विवशता हो गई है।

Posted By: Jagran
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