सीतामढ़ी। सीतामढ़ी-मोतिहारी को रेललाइन से जोड़ने का सपना आखिर कब पूरा होगा, यह अबूझ पहेली बनकर रह गया है। इस बार रेलबजट से लगी उम्मीदें इस बार भी टूट गई। इस रेलखंड के लिए जितनी जमीन चाहिए अभी तक उसकी कीमत का इंतजाम भी नहीं हो पाया है। कम से कम दो सौ करोड़ रुपये आवंटित हो तो किसान अपनी जमीन का अधिग्रहण करने देंगे। पिछली बार 100 करोड़ देने की स्वीकृति हुई तो इस बार 10 करोड़ ही केंद्र सरकार दे पाई। अब 110 करोड़ में जमीन का दाम भी नहीं निकल पाएगा। स्वाभाविक है रेललाइन इस साल भी बिछ पाने से रही। भू-अर्जन कार्य के लिए 194.40 करोड़ रुपये पिछली बार देने की बात थी जिसमें से वर्ष 2016-17 में 19.75 करोड़ ही आवंटित हो सके। देखिए इस बार 10 करोड़ में से सरकार कितना दे पाती है। इस महत्वाकांक्षी रेल परियोजना के लिए केंद्र सरकार का यहीं रवैया रहा तो अगले कुछ सालों तक इस रेललाइन पर ट्रेन दौड़ने से रही। ऐसे में माता जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी का बापू की कर्मस्थली मोतिहारी से रेल संपर्क पर अनिश्चितता बरकरार है।
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सिर्फ 10 करोड़ इस रेलखंड को
पूर्व मध्य रेलवे को बजटीय सहयोग राशि के रूप में इस बार 4,614 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। इसमें से सीतामढ़ी-मोतिहारी रेललाइन के नाम पर मात्र 10 करोड़ की स्वीकृति की बात सुनकर मन क्षोभ में डूब जाता है। वर्ष 2007 में इस रेलखंड को स्वीकृति देकर तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने शिलान्यास भी कर दिया। तब कहा गया कि 69.9 किलोमीटर रेलखंड के तैयार हो जाने पर सीतामढ़ी से मोतिहारी वाया शिवहर आवाजाही सरल व सुगह हो जाएगी। बताया जाता है कि सीतामढ़ी व बापूधाम मोतिहारी में जक्शन व रेवासी, शिवहर, पताही, ढ़ाका, गजपुर में क्रॉसिग तथा धनकौल, सुगिया कटसरी, चिरैया में हाल्ट का निर्माण होना है। इस रूट होकर ट्रेन की सुविधा नहीं होने से लोग 55 किमी दूर मुजफ्फरपुर और 25 किमी सीतामढ़ी जाते हैं।
इस परियोजना के लिए 926.09 करोड़ का एस्टीमेट
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रेलखंड का दो बार सर्वे हुआ है। फाइल वित्त विभाग से आगे फिर भी नहीं बढ़ पाई। मंजूरी मिल जाती तो भूमि अधिग्रहण शुरू हो पाता। मगर 10 वर्षों में सिर्फ सर्वे हो सका। 926.09 करोड़ का प्राक्कलन बना है। अब तक 24 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। व्यवसायी बैरगनिया निवासी मदन सर्राफ, अशोक सर्राफ, ओमप्रकाश ने कहा कि इस रेलखंड के लिए सरकार की उदासीनता देख भरोसा उठने लगा है।
Posted By: Jagran
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