जनसंख्या नियोजन को लेकर पुरुषों से दो कदम आगे महिलाएं

जागरण सरोकार : जनसंख्या नियोजन

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- विगत वर्ष छह पुरुषों के मुकाबले 1,909 महिलाओं ले कराया बंध्याकरण
- हम दो हमारे दो का प्रयास विफल, प्रयासों के बीच चुनौती बना है लक्ष्य सुमन कुमार सुमन, लखीसराय
सरकार के जनसंख्या नियोजन के तमाम प्रयास को अब धक्का लग रहा है। जन जागरुकता पैदा करने के लिए छोटा परिवार सुखी परिवार का नारा भी बुलंद किया जा रहा है। लेकिन बारह लाख की आबादी वाले लखीसराय जिले में जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण एक चुनौती बनी हुई है। पुरुष प्रधान समाज में आज पुरुष ही योजना की सफलता में बाधक बने बैठे हैं। हकीकत यह है कि तेजी से बढ़ रही जनसंख्या रोकने के लिए शहरों में बैठकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कार्यक्रम के सफल होने का दावा करते हैं। लेकिन जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम सिर्फ सरकारी नारा बनकर रह गया है। लाभार्थियों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि भी पुरुषों को अपनी ओर ज्यादा आकर्षित नहीं कर पा रही है। जिला स्वास्थ्य समिति से प्राप्त आंकड़े कुछ यही बयां कर रहे हैं। जिले में चालू वित्तीय वर्ष के नौ माह में 1,915 नसबंदी व बंध्याकरण हुआ है। इसमें 1,909 महिलाओं में मात्र छह पुरुष हैं। नसबंदी कराने वाले पुरुष को तीन हजार व उत्प्रेरक को चार सौ रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में मिलता है। जबकि प्रसव के सात दिन के भीतर बंध्याकरण कराने वाली महिला को तीन हजार रुपये व उत्प्रेरक को चार सौ रुपये तथा सामान्य स्थिति में बंध्याकरण कराने वाली महिला को दो हजार रुपये व उत्प्रेरक को तीन सौ रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। बावजूद पुरुषों की उपस्थिति नगण्य है। जिला स्वास्थ्य समिति के आंकड़े के अनुसार सदर अस्पताल में निर्धारित लक्ष्य 1,996 की जगह 578, पीएचसी बड़हिया में निर्धारित लक्ष्य 790 के विरुद्ध 335, पीएचसी सूर्यगढ़ा में निर्धारित लक्ष्य 1,754 के विरुद्ध 326, पीएचसी हलसी में निर्धारित लक्ष्य 709 के विरुद्ध 430, पीएचसी रामगढ़ चौक में निर्धारित लक्ष्य 540 के विरुद्ध् 170 व पीएचसी पिपरिया में निर्धारित लक्ष्य 326 के विरुद्ध 76 लोगों का बंध्याकरण व नसबंदी किया गया।
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कोट
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बंध्याकरण शिविरों में लोगों की तादाद बढ़ी है। पुरुषों में नसबंदी कराने के बाद कमजोर होने व नपुंसक होने का भ्रम आज भी कायम है। जबकि ऐसी बात नहीं है। नसबंदी कराने के बाद पुरुष न तो कमजोर होते हैं और न ही उन्हें किसी तरह की परेशानी होती है। महिला बंध्याकरण से अधिक सुरक्षित पुरुष नसबंदी है।
- डॉ. सुरेश शरण, सिविल सर्जन, लखीसराय
Posted By: Jagran
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